@शब्द दूत ब्यूरो
देहरादून । सरकार जनता और अपने मीडिया जगत के साथियों के बीच समन्वय बनाने की कला में माहिर हैं मनीष वर्मा। अपने निजी कार्यों तथा व्यस्तता के बावजूद अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते एक फिल्मकार पत्रकार और समाजसेवी मनीष वर्मा अपने कार्य का संपादन बखूबी करते आ रहे हैं। अपने कार्य के प्रति गंभीर व संवेदनशील और मुख्यमंत्री व भाजपा की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने का काम मनीष वर्मा पूरी शिद्दत के साथ कर रहे हैं।
सुबह 11 बजे से अपने आफिस बैठकर आगन्तुकों से मिलकर व त्वरित रूप से उनके कार्यो का निस्तारण तत्काल करना उनकी दिनचर्या में शामिल है।
खास बात यह है कि वह अपने पास आने वाले हर फोन को अटैंड करते हैं। फोन पर अभिवादन करते हुए बात को सुनकर उसके समाधान को तत्पर मनीष वर्मा की कार्यशैली अपने आप में उन्हे औरों से अलग करती है।
राज्य के अधिकतर पत्रकारों को मनीष वर्मा करीब से जानते हैं। विरासत में मिली पत्रकारिता को मनीष वर्मा बखूबी सहेजे हुये हैं।
न्यूज़ चैनल का मालिक होने के साथ मुख्यमंत्री के प्रदेश में फ़िल्म उद्योग की स्थापना के उद्देश्य को सफल करने में दिन रात काम कर रहा है व 3 गढ़वाली फिल्में भी बनाने का कीर्तिमान स्थापित कर चुका है जिसके चलते 9 नम्बर राज्य स्थापना दिवस पर इन्हें मसूरी फ़िल्म कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री ने इन्हें “राज्य विशिष्ट व्यक्ति सम्मान ” से नवाजा और अब कुछ समय शांत रहने के बाद इनका चैनल अगले माह से सैटेलाइट पर सब डी टी एच प्लेटफार्म पर दिखने जा रहा है जो इनका सपना था भाजपा कांग्रेस में शायद कोई ही ऐसा नेता होगा जो इनके न्यूज़ चैनल की डिबेट में इनके स्टूडियो न आया हो और अब पुनः वही रौनक शुरू होने जा रही है ।
हर पत्रकार जो इनके सम्पर्क में है उसकी मदद के लिए मनीष वर्मा तत्काल सक्रिय हो जाते हैं। कोई राहत कोष से मदद मांगता ,कोई अपने सरकारी काम मे व्यवधान के समाधान को कहता दिखा तो कोई पहाड़ से मैदान में आने की गुहार करता दिखा ,कोई अपने पोर्टल या समाचार पत्र के लिए विज्ञापन चाहता दिखा तो कोई भाजपा के 3 साल की उपलब्धियों के 100 पेज डॉक्यूमेंट में से विशेष विषयों पर प्रचार के पहलू पर निर्देश लेता दिख रहा था ।
भाजपा के प्रदेश स्तर से लेकर दिल्ली मुख्यालय तक करीबी पहुँच रखने वाले व मोदी जी की कोर योगा टीम से सदस्य इस शख्श न कोई सरकारी सुविधा,न सरकारी गाड़ी,न दफ्तर ,न मानदेय और न सरकारी स्टाफ । मात्र एक सरकारी व दो निजी पी एस ओ व अपने निजी स्टाफ के साथ 2 गाड़ियों के काफिले में तन्मयता से अन्य दायित्वधारियों से इत्तर ये शख्श अपना फर्ज निभाता दिखा ।
कोविड -19 में जनता क्या कह रही है ,क्या होना चाहिए, क्या कहा कमी है ? कौन अधिकारी क्या कर रहा है और क्या उसकि रिपोर्ट है वो सब यहां जानते – सुनते – होते दिखा । कुंल मिलाकर मुख्यमंत्री की एक आंख,नाक और कान यहाँ से भी सब देख सुन और समझ रही है ये पहली बार देखा और मुख्यमंत्री की गंभीरता और संवेदनशीलता का एक नया परिचय दिखा और शायद ऐसे मजबूत लॉगो के साथ होने नतीजा यह है कि सरकार के मुखिया 5 साल का कार्यकाल पूर्ण करेंगे ।
मनीष वर्मा खुद कहते हैं कि हम तो पत्रकार है आमजन के सरोकारों को जनता से अधिकारी तक पहचाना व सच को सच और झूठ को झूठ बताना हमारा पत्रकारिता का नैतिक फर्ज भी है। और जो दिखा वो तो लिखना बनता भी है। हालांकि आजकल सत्ता के गलियारों में इनकीं चर्चा जबरदस्त है पर सार्वजनिक नही है। मनीष वर्मा त्रिवेन्द्र सिंह रावत को एक बार फिर दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं।
एक समय जब सब मुख्यमंत्री का बीच मे साथ छोड़ गए थे और तब इन्होंने अपने सम्पर्को से मुख्यमंत्री के दुश्मनों को अपनी लेखनी,कूटनीति व सम्पर्कों से धराशायी कर दिया और उन आकाओं को भी ठंडा कर दिया जो मुख्यमंत्री व सरकार के ख़िलाफ़ बड़ी साजिश कर रहे थे । अगर यह कहा जाय कि ऐसे व्यक्ति अगर मुख्यमंत्री के सलाहकारों की सूची में प्रत्यक्ष रूप से होता तो प्रदेश सरकार के मीडिया मैनेजमेंट और बेहतर हो सकता है।