@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले को केरल सरकार ने चुनौती दी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे प्रदर्शनों के बीच नागरिकात संशोधन कानून के खिलाफ केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला ऐसा पहला राज्य बन गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस कानून के खिलाफ करीब 60 याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है।
बता दें कि बीते दिनों केरल विधानसभा ने नागरिकता कानून (सीएए) को रद्द करने की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया है। सत्तारूढ़ सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने विधानसभा में सीएए के विरोध में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया था।
केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने पहले ही घोषणा की थी कि उनकी सरकार संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे। विधानसभा में प्रस्ताव पेश करके इसे एक के मुकाबले 138 मतों से पास करवाकर उन्होंने अब केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया था।
इससे पहले केरल विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने को लेकर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि नागरिकता पर सिर्फ संसद को कोई कानून पारित करने का अधिकार है, विधानसभा को नहीं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने के लिए करीब 60 से अधिक याचिकाएं विचाराधीन हैं, जिनकी सुनवाई 22 जनवरी को होगी। राजनीतिक पार्टियों और शख्सियतों ने याचिकाएं दायर की हैं।