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काशीपुर में पहली बार मनाया गया इगास बग्वाल उत्सव, झोड़ा-भेलो और हास्य प्रस्तुतियों से जीवंत हुई पर्वतीय संस्कृति

@शब्द दूत ब्यूरो (02 नवंबर 2025)

उत्तराखंड की लोक संस्कृति और पारंपरिक धरोहर को जीवंत करने के उद्देश्य से काशीपुर में पहली बार इगास बग्वाल उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन पहाड़ी स्वराज संघ के तत्वावधान में किया गया, जिसमें शहर और आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए। पूरे परिसर में उत्तराखंड की सुगंध और लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली।

कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से हुई। छोटे-छोटे नौनिहालों ने जब मंच पर कदम रखा, तो दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। बच्चों की मासूम अदाओं और पारंपरिक गीतों ने सभी का मन मोह लिया। इसके बाद स्थानीय महिलाओं ने पारंपरिक झोड़ा नृत्य प्रस्तुत कर कुमाऊंनी संस्कृति की जीवंत झलक पेश की। झोड़ा की लय और गीतों के सुरों पर दर्शक भी झूमने से खुद को नहीं रोक पाए।

कार्यक्रम में क्षेत्रीय कलाकारों ने लोकगीतों और पारंपरिक नृत्यों के माध्यम से उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को मंच पर साकार किया। हास्य कलाकार संदीप चिलबत की शानदार प्रस्तुति पर पूरा पंडाल ठहाकों से गूंज उठा। लोगों ने हास्य और व्यंग्य के माध्यम से सामाजिक संदेश देने की उनकी शैली की जमकर सराहना की।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा पारंपरिक भेलो नृत्य, जिसमें पुरुष कलाकारों ने अपनी जोशभरी प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। ढोल-दमाऊं की थाप पर जब भेलो शुरू हुआ तो माहौल पूरी तरह पारंपरिक रंग में रंग गया। कलाकारों की एकजुटता, ताल और ऊर्जा ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर मौजूद स्थानीय नागरिकों ने कहा कि इगास बग्वाल हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक है। ऐसे आयोजन न केवल लोक संस्कृति को संजोने का माध्यम हैं, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने का कार्य भी करते हैं।

पहाड़ी स्वराज संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि इगास बग्वाल उत्सव का उद्देश्य उत्तराखंड की विलुप्त होती लोक परंपराओं को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा कि इस पहल को आने वाले वर्षों में और भव्य रूप में मनाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि काशीपुर की पहचान भी उत्तराखंड के सांस्कृतिक मानचित्र पर और सशक्त हो सके।

कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों और दर्शकों ने एक स्वर में कहा — “इगास हमारी पहचान है, हमारी संस्कृति है, इसे हर घर तक पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।”

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