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दुर्घटना पीड़ित की जान आप बचा सकते हैं, आपके पास है शक्ति, कैसी शक्ति? ए आर टी ओ विमल पांडे ने बताया एक अनोखी शक्ति के बारे में, देखिए वीडियो

@शब्द दूत ब्यूरो (24 मई 2025)

काशीपुर। आमतौर पर जब आप किसी सड़क या हाईवे से गुजर रहे हैं और आपके सामने कोई दुर्घटना हो जाये तो आपके मन में घायल के प्रति सहानुभूति उमड़ेगी। हो सकता है कि आप उसकी मदद के लिए रूकें और अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे कि घायल को अस्पताल तक पहुंचने से पहले उसकी जीवन रक्षा के लिए कुछ प्राथमिक उपचार करें। दूसरी स्थिति यह भी कि आपके मन में पुलिसिया कार्रवाई के भय के चलते आप मौके से चले जाना ही बेहतर समझे।

उपरोक्त दोनों स्थितियों में घायल की जान बचने की संभावना कम हो जाती है। अब आप कहेंगे कि जब प्राथमिक उपचार देने के बाद भी ऐसी नौबत क्यों आई कि घायल की जीवन रक्षा नहीं हो पाये?

इन सवालों का जवाब काशीपुर के ए आरटीओ विमल पांडे ने बीते रोज संजीवनी मल्टीस्पेशिलिटी हास्पिटल के आठवें वार्षिकोत्सव में दिये। उन्होंने बाकायदा ऐसी स्थिति का डिमांस्ट्रेशन कर दिखाया ताकि लोगों को समझने में आसानी हो।

ए आर टी ओ विमल पांडे ने शुरूआत करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं आपको एक गुड् सेमेरिटन एक्ट के बारे में बताना चाहूंगा और उसकी कहानी बताना चाहूंगा कि वो कैसे वो एक्ट आया। सन 2013 में जयपुर के हाईवे में एक दुर्घटना हुई। एक मोटरसाइकिल चालक अपनी पत्नी और अपने बच्चे के साथ जयपुर के हाईवे में चल रहा था और एक गाड़ी ने उसको हिट किया। उस एक्सीडेंट में उसका उसकी पत्नी और बच्चा बुरी तरीके से घायल हो गया। वो खुद भी घायल हो गया। वो हेल्प के लिए चिल्लाता रहा। हेल्प हेल्प हेल्प करके लोग गुजरते रहे लेकिन उसकी किसी ने मदद नहीं की। कुछ सीसीटीवी कैमरा में जब वो रिकॉर्ड हुआ तो बहुत सारे टीवी चैनल्स ने उसे चलाया। वो बेचारा बार-बार लड़खड़ाते हुए हेल्प हेल्प रहा। मेरी पत्नी को बचा लो, मेरे बच्चे को बचा लो। लेकिन कोई बचाने नहीं आया। लोग देखते रहे और अंतत उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी और अपने बच्चे को सड़क पर खो दिया। यानी कि उनकी मृत्यु हो गई।

तब इस दुखद घटना के बाद  इसका संज्ञान लिया और एक डायरेक्शन जारी कर दिए कि आखिर ऐसा क्यों होता है? भारत सरकार इस पर शोध करे। तो जब शोध किया गया तो ये पता लगा कि लोग डरते हैं। पुलिस कानून कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते। इसलिए दुर्घटना पीड़ित की मदद के लिए नहीं आना चाहते। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया कि भारत सरकार इस संबंध में आदेश जित करें और 2015 में भारत सरकार ने एक शासनादेश जारी कर दिया जिसके बाद वर्ष 2019 में जो मोटर व्हीकल एक्ट है उसमें भी संशोधन कर दिया गया और वो संशोधन जो किया गया वो कहलाता है गुड समेरिटन एक्ट यानी कि वो एक व्यक्ति जो किसी सड़क दुर्घटना पीड़ित की मदद करता है उसको कोई पुलिस प्रशासन हॉस्पिटल या कोई भी एडमिनिस्ट्रेशन उसका नाम पता पूछने के लिए उसे बात नहीं कर सकती। वो अगर बयान भी अपना देना चाहेगा तो अपनी मर्जी से देगा। अगर उसे लगता है कि उसके सामने दुर्घटना हुई है और उसके बयान से किसी को लाभ हो सकता है। कोई दोषी पकड़ा जा सकता है या कोई निर्दोष दोष मुक्त हो सकता है। अगर वो बयान देना भी चाहेगा तो अपनी मर्जी से देना चाहेगा। और सरकार उसके आने जाने का उसको बयान दर्ज करने का सारा खर्चा वहन करेगी। राज्य सरकार ऐसे गुड समेटन को यानी कि जो सड़क दुर्घटना पीड़ित की मदद करता है उसको सम्मानित करेगी। उसको पुरस्कार देगी और उत्तराखंड सरकार ने ₹000 ऐसा पुरस्कार तय किया है जिसे अब ₹25,000 में बढ़ाने का शासनादेश जारी हो चुका है।

तो सबसे पहली बात तो मैं आपसे कहना चाहूंगा कि सड़क दुर्घटना पीड़ित अगर आपको कोई मिलता है तो उसकी मदद जरूर करें। समय से अगर वो हॉस्पिटल पहुंच गया तो उसकी जान बच सकती है। ये गोल्डन आवर कहलाता है। सोने में एक घंटा दुर्घटना के ठीक बाद का एक घंटा अगर उसको कोई नहीं आपने इलाज पहुंचा दिया, आपने हॉस्पिटल पहुंचा दिया तो उसकी जान बच सकती है। मेरे साथ डॉक्टर आलम है, फिजिशियन है और आज हम आपको बताएंगे कि एक एक्सीडेंट विक्टिम की कैसे मदद की जानी चाहिए। एक और वंटियर हमारे साथ है। तो किस तरीके से आप सड़क दुर्घटना पीड़ित की मदद कर सकते हैं। सपोज़ करिए ये है एक्सीडेंट विक्टिम। अब हम इनको माने कार में या मोटरसाइकिल में? जब भी एक्सीडेंट होता है कार या मोटरसाइकिल से तो आप मानिए कि मेरी सपोज करिए मेरी बाइक है। मैं 70 कि.मी. पर घंटा की स्पीड से उसे दौड़ा रहा हूं और सामने हाथ से एक ट्रक आ रहा है 40 कि.मी. पर घंटा की स्पीड से उससे मेरी गाड़ी टकरा गई। यही एक्सीडेंट है। तो यहां पर लॉ ऑफ इनर्शिया काम करता है। जड़त्व का नियम। जैसे ही मेरी गाड़ी 70 किमी पर घंटा की स्पीड से ट्रक से टकराई तो गाड़ी की स्पीड तो जीरो हो गई लेकिन मेरा शरीर उसी स्पीड से आगे को जाता है 70 किमी पर घंटा की स्पीड से और टकराता है। तो आमतौर पे ऐसे जो एक्सीडेंट होते हैं उसमें गर्दन में चोट होती है। तो पहली बात एक्सीडेंट विक्टिम को अगर सपोज करिए ये यहां पे ऐसे पड़े हुए हैं तो इन सपोज करिए अब आपको दिख रहा होगा अगर ऐसे पड़े हुए हैं तो इनको उठाते वक्त इनके गर्दन पर जरूर हाथ रखना है। आप देख सकते हैं गर्दन पर जरूर हाथ रखना है। अब सपोज करिए मैं इनको गर्दन पर हाथ रख के इन्हें बाहर तक निकालना आया। ये मूर्छित अवस्था में है या ये कोई बहुत मूवमेंट नहीं कर रहे हैं। मैं वो प्राथमिक उपचार बता रहा हूं जो आपको देना है। सबसे पहले तो आप ये कोशिश करेंगे कि भाई अंकल आंटी भैया प्लीज मेक कॉल टू पुलिस। पुलिस को कॉल करो। एंबुलेंस को कॉल करो। यह काम तो करना ही है लेकिन उसके साथ ही हमको इस एक्सीडेंट विक्टिम को देखना है कि इसे हम कैसे सहायता दे सकते हैं। आज उसी के बारे में मैं और डॉक्टर साहब आपको डेमोंस्ट्रेट करके बताएंगे। आप माइक पकड़िए प्लीज। तो मुझे क्या करना है? मेरे पास आइए भाई। मैं इस विक्टिम के पास जाऊंगा। ये अगर ऐसे पड़ा है मैं इसको पहले ऐसा हाथ लाऊंगा। सर हेलो हेलो तो हो सकता है थोड़ा सा मूवमेंट करें तो मुझे पता लग जाएगा कि ये होश में है जीवित है या इनकी क्या पोजीशन है तो मुझे इस तरीके से इनको इनके हाथ लगाना है सर भाई साहब हेलो हेलो आपको जोर से क्योंकि जो ब्रेन में चोट लगी होगी जो इनको पेट में चोट लगी होगी या जो ट्रोमा होगा। उस कारण ये अपने बेहोश हो जाएंगे या ये वोमिट करने लगेंगे। तो आपको क्या करना है? अगर ये थोड़ा कैमरामैन प्लीज अगर आप इधर को आ जाए तो मैं बता दूं सभी लोगों को क्या करना है? देखिए, बाई तरफ़ हार्ट होता है। हार्ट बाई तरफ़ है। आपको सबसे पहले इनका यह वाला जो हाथ है, यह वाला हाथ यह उठाके एल शेप पे रखना है बी ऐसे। ये पेट पे रखना है। और इस वाले हाथ को ऐसे। और इनको करवट दिला लेनी है। हार्ट की तरफ यानी कि बाई तरफ। आप करवट में रहिए। करवट फैलाने में अगर बाय द वे इसको वोमिट हो रहा होगा तो वोमिट अगर ऐसी रहेंगे तो इनकी नाक में जाएगा उसकी बीवी को चोक कर सकता है और इनकी हेल्थ हो सकती है वो आपको करवट दे देना है हो सकता है एक दो लोग आएंगे वहां पे कहेंगे भाई साहब पानी पिला दो पानी पिला दो ये लो ये लो पानी बिल्कुल ध्यान रखिए एक्सीडेंट विक्टिम को पानी बिल्कुल भी नहीं पिलाना है वो पानी उसकी ब्रीथिंग में उसकी सांस की नलियों में फंस सकता है पानी बिल्कुल भी नहीं पिलाना है। जब इस पोजीशन में आ गए अगर इनके वोमिटिंग हो रही होगी तो ये वोमिटिंग शुरू कर देंगे। अगर इनके अंदर चोट लगी है, ब्रेन में चोट लगी है तो वोमिट निकलना शुरू हो जाएगा। आप पुलिस से एंबुलेंस को कॉल करिए। एंबुलेंस आती है तो वो पैरामेडिकल टीम को आप सौंप दीजिए। अगर नहीं आती है तो आप अपनी गाड़ी में या कोई आती जाती गाड़ी में आप पेशेंट को ले जाइए रख के। और अगर इस दौरान वो पेशेंट बाय द वे मर जाता है तो भी आपके ऊपर गुड समेरिटन एक्ट का प्रोटेक्शन है तो भी आपके ऊपर कोई भी क्रिमिनल या सिविल मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता। आपको प्रोटेक्शन दिया गया है। तो ये निवेदन है कि सड़क दुर्घटना पीड़ित की मदद करने के लिए आगे आइए और लोगों की जान बचाइए। हो रही है। कुछ लोग कह रहे हैं अगल-बगल खड़े मर गया मर गया। कुछ लोग कह रहे हैं गया। लेकिन ये गया नहीं है। इसको गया है या नहीं? चेक करने के लिए हम क्या करते हैं? नाक के पास उंगली लगाते हैं। हमको आईडिया आता है कि नहीं इसकी सांस आ रही है। हल्की है। हम गर्दन के पास हाथ रख के नब्स टटोल सकते हैं। हम पेट पर हाथ रख सकते हैं। पेट ऊपर नीचे उठ रहा है क्या? नहीं यह जीवित है। यह जीवित है लेकिन इसके हार्ट ने काम करना बंद कर दिया है। तो हम इसे देंगे सीपीआर कार्डियो पल्मोरी रेसिसिटेशन और इसके बारे में डॉक्टर साहब बताएंगे कि सीपीआर कैसे देना है। और आज का एक वीडियो मैं आपको बताऊं लुधियाना का है। एक नर्स बाजार में घूम रही थी। आप में से कई लोगों ने देख लिया होगा। वीडियो अभी तक वायरल हो चुका है। एक नर्स लुधियाना में बाजार में अपने बच्चे को आइसक्रीम खिलाने गई थी। एक व्यक्ति ऐसी ही दुर्घटना में घायल हो गया। लोग उसे न समझ रहे थे लेकिन वो लगातार उसे सीपीआर देती रही। लगातार सीपीआर देती रही। ओके तो फटाफट हम सीपीआर वाला दिखा देते हैं। आप प्लीज इधर आ जाइए। सीपीआर वैसे इसके ऊपर नहीं दिया जाता। सीपीआर फर्श पे ही दिया जाता है। यहीं पे यहीं पे देंगे। सीपीआर ऐसी पीछे मजबूत हो। ऐसा नहीं कि आप गद्दे के ऊपर सीपीआर दे रहे हैं। सीपीआर यानी कि कृत्रिम ऑक्सीजन दे रहे हैं उसको जिंदा कर रहे हैं हम। जो लग रहा है कि मर गया है अगर हमने उसको ये सीपीआर दे दिया और मैं आपको बताऊं घर में कई बार हार्ट अटैक के पेशेंट हो जाते हैं जमीन में गिर जाते हैं। अगर हम उन्हें भी सीपीआर दे दे। सीपीआर देना अगर हम सीख जाएं तो हम बहुत सारे लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। डॉक्टर साहब प्लीज आगे शुरू करिए। सीपीआर कहीं भी दे सकते हैं। घर में दे सकते हैं, रोड पे दे सकते हैं। कहीं भी दे सकते हैं। किसी को भी दे सकते हैं। कोई भी अनकॉन्शियस मिलता है। आप कहीं भी दे सकते हैं। उसके लिए सिंपल स्टेप्स है। पहले आप हाथ को ऐसे रखेंगे, हाथ को ऐसे रखेंगे और चेस्ट यहां पे रखेंगे और प्रेस करेंगे अपनी ताकतों से। 30 सेकंड्स। ठीक है? 30 सेकंड प्रेस करेंगे। प्रेस करेंगे। ओके? उसके बाद दूसरा है उसको ऑक्सीजन देना है। ऑक्सीजन तो आपको घर पे दे नहीं सकते या रोड पे दे नहीं सकते। उसके लिए सबसे अच्छा है हेल्प मांगिए है ना और उसकी सर्कुलेशन देखिए। उसकी उसकी ब्रीथिंग देखिए कैसी है। अगर ठीक है आपका सीपीआर सक्सेसफुल हुआ। आपको इसको ट्रांसफर करना है हॉस्पिटल। बस इतना ही है। ठीक है? तो इस बात को एक बार और समझ लेते हैं। हम सीपीआर को बहुत दो सेकंड में मैं बता दूंगा। यह कहां पे आपको देना है? जहां पे रिब्स स्केप है आपकी ये जो ये जो हड्डियां हैं इन हड्डियों पे जोड़ आ रहा है इस जोड़ से 2 इंच ऊपर 2 इंच को कैसे नापेंगे अपनी तर्जनी उंगली को आधा मान लीजिए और वहीं पर अपने दोनों हाथ जैसे डॉक्टर साहब ने बताया था ऐसे लगा करके 30 बार आपको दबाना है फिर रेस्ट लेना है फिर 30 बार दबाना है और रेस्ट लेना है वो व्यक्ति जीवित हो सकता है चलिए इसी को यहीं पे खत्म करते है।

ये है दुर्घटना की स्थिति में आपके लिए दी गई शक्ति

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