Breaking News

एक्सक्लूसिव :देश के इस गांव के लोग सबसे पहले नया अनाज खाते हैं, पीर फकीर की दुआ या प्रकृति का चमत्कार, देखिए वीडियो

@शब्द दूत ब्यूरो (11 मार्च 2025)

हरियाणा के नूंह जिले के नगीना खंड के गांव मढ़ी में प्रदेश में सबसे पहले गेहूं व जौ इत्यादि की फसल पककर तैयार होती है। पीर – फकीर की दशकों पहले दी गई दुआ का असर कहें या फिर गांव की भूमि का ड्राई होना। वजह जो भी हो, लेकिन नया अनाज प्रदेश व देश में सबसे पहले इस गांव के लोग खाते हैं। यह परंपरा आज से नहीं बल्कि सैंकड़ों सालों से चली आ रही है।

गांव के लोग मानते हैं कि उनके गांव में दशकों पहले पीर – फकीर भूखा – प्यासा आया था। उसने गांव की किसी महिला से पानी मांग लिया। उस समय मढ़ी गांव में महिलाएं दो – तीन किलोमीटर दूर से पानी लेकर आती थी। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का उस समय कोई इंतजाम गांव में नहीं था। गांव में पीने योग्य पानी नहीं था, जो आज भी हालात जस की तस हैं। ऐसे में भी महिला ने न केवल पीर – फकीर को पानी पिलाया बल्कि खाने के लिए रोटी भी दे दी। भूखे पीर – फकीर का जब पेट भर गया तो उसने दुआ दी की बेटा इस गांव का व्यक्ति सबसे पहले नया अनाज खाएगा। इस गांव में कभी इंसान भूखा नहीं रहेगा। इस गांव में सिंचाई के लिए कोई साधन नहीं है। खेती सिर्फ बरसात के ऊपर आधारित है।

यह सिर्फ मढ़ी गांव की कहानी ही नहीं इसके आसपास लगते गंडूरी, हसनपुर, बदरपुर, खेड़ी कंकर सहित नगीना खंड के दर्जनों का ऐसे हैं, जहां सिंचाई के लिए पानी नहीं है और खेती सिर्फ बरसात पर आधारित है। लेकिन इसके बावजूद भी सबसे पहले मढ़ी गांव में ही फसल पककर तैयार होती है। गांव के लोग यह भी मानते हैं कि ड्राई एरिया की वजह से फसल अन्य गांव के मुकाबले 8 -10 दिन पहले तैयार हो जाती है। लेकिन अधिकतर ग्रामीण यही मानते हैं कि यह सब पीर – फकीर की दशकों पहले दी गई दुआ का ही असर है।

कृषि विभाग के तकनीकी सहायक मित्तल चौहान से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के मुताबिक गांव में सिंचाई का पानी नहीं होने के कारण जंगल ड्राई एरिया है। यही वजह है कि यहां पहले पककर फसल तैयार होती है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य गांव के मुकाबले यहां बिजाई पहले हो जाती होगी। शायद इसलिए फसल भी पहले पकती है। लेकिन जब ग्रामीणों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि नवंबर महीने के अंत में देसी गेहूं 306 की बिजाई की गई थी, जो मार्च के पहले सप्ताह में ही कट गई है और बहुत से खेतों में कटाई हो रही है।

कुल मिलाकर मढ़ी गांव में इलाके में सबसे पहले फसल पककर कटाई होने के लिए जाना जाता है। मढ़ी गांव के लोग भी यह मानते हैं कि बुजुर्ग ने जो दशकों पहले दुआ दी थी। उसी का असर है कि वह सबसे पहले नया अनाज का स्वाद चखते हैं। इस खेती में सबसे ज्यादा 306 यानि देसी गेहूं की किस्म ही किसान बिजाई करता है और इस किस्म में सिंचाई भी कम लगती है। अगर सीजन में एक – दो बरसात हो जाती हैं तो उसी से यह फसल पककर तैयार हो जाती है। इस बार बीते सालों की तुलना में फसल भी अच्छी है क्योंकि इस सीजन में बरसात अच्छी रही थी।

अभी तो होली पर्व में भी तीन – चार दिन का समय शेष बचा है। होलिका दहन के अवसर पर अक्सर जौ की बाल भूलने का प्रचलन सैक़डों सालों से चला आ रहा है। इसका यही अर्थ है की सबसे पहले जो की फसल पककर तैयार होती है। गेहूं की बाली होली के आसपास नहीं पकती है, लेकिन इस गांव में कुदरत का करिश्मा कहें या फिर भूमि में पानी की कमी परंतु यहां सबसे पहले फसल तैयार होती है।

Check Also

बिग ब्रेकिंग : नगर निगम भूमि क्रय प्रकरण में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए सीएम धामी ने

🔊 Listen to this गहन और तथ्यात्मक जांच के आदेश से मची खलबली @शब्द दूत …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-