@शब्द दूत ब्यूरो (09 फरवरी 2025)
काशीपुर। देवभूमि पर्वतीय महासभा के चुनावों को लेकर पर्वतीय समाज लगता है अब कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। लाखों मतदाताओं वाले उत्तराखंड के निकाय चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गई है। लेकिन एक हजार से भी कम मतदाताओं वाले देवभूमि पर्वतीय महासभा के चुनाव की प्रक्रिया अभी तक अधर में लटकी हुई है।
पिछले कुछ महीने पूर्व देवभूमि पर्वतीय महासभा के चुनावों को लेकर पर्वतीय समाज के लोग बडे-बडे दावे कर रहे थे। अब एकाएक सभी मौन हो गये हैं। चुनाव प्रक्रिया प्रशासन के हाथ में है और पूरी तरह से पर्वतीय समाज अब प्रशासन पर निर्भर हो गया है। दरअसल काशीपुर में पर्वतीय समाज के बड़े बड़े चेहरे खुद को पर्वतीय समाज का रहनुमा प्रदर्शित करते हैं लेकिन कोई भी ऐसा रहनुमा नजर नहीं आया जो पर्वतीयों की इस संस्था को पुनर्जीवित कर पाये।
देवभूमि पर्वतीय महासभा की स्थिति बड़ी विचित्र है यह दूसरों के लिए तो एकजुटता दिखा सकती है लेकिन अपनी ही स्थिति को नजरअंदाज कर देती है। ऐसे में शहर के पर्वतीय समाज का इस संस्था से भरोसा उठने लगा है। पर्वतीय समाज के रहनुमा बताने वाले लोगों को आगे आना होगा और इस संस्था के अस्तित्व को बचाना होगा।