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दीपक बाली :महापौर बनने के बाद बदल गई भाषा और बोल, पक्ष विपक्ष दोनों हैरान

@शब्द दूत ब्यूरो (08 फरवरी 2025)

काशीपुर। महापौर बनने के बाद दीपक बाली के बोल और भाषा बदल गई है। दीपक बाली चुनावी जंग के दौरान जिस भाषा का प्रयोग करते रहे हैं अब ठीक उसके विपरीत उनका संबोधन हो रहा है। शायद यही कारण है कि विपक्षी भी हैरान हैं और दूसरी पार्टी का होने के बावजूद खुलकर उनकी सराहना करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

चुनावी जंग के दौरान जिस तीखी भाषा में वह विपक्ष पर तंज कसते रहे अब वह उसी विपक्ष को दुलारते हैं। जीत का सेहरा पहनने के बाद अपने विभिन्न कार्यक्रमों में वह स्पष्ट तौर पर यह स्वीकारते हैं कि अब सब मेरे अपने हैं। अर्जुन जब युद्ध के मैदान में खड़े होकर अपने सामने खड़े विपक्षियों को देखकर कमजोर साबित हो रहे थे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया था। चुनावी जंग में दीपक बाली ने श्रीकृष्ण के उपदेश को आत्मसात करते हुए पूरे मन से युद्ध लड़ा। जीत के बाद बोले अब कोई बैर नहीं मैं सबका हूँ सब मेरे हैं। दरअसल जिसे राजनीति की लंबी पारी खेलनी हो उसके लिए यही बेहतर है। इस बात को दीपक बाली अच्छी तरह समझते हैं।

महापौर दीपक बाली अपने अब तक के कार्यक्रमों में जिस शब्दावली का उपयोग करते हैं उससे लगता है कि वह शब्द चयन और भाषा पर अच्छी पकड़ रखते हैं। कब कहां और कैसे शब्द बोले जाये इस पर उनका पूरा ध्यान रहता है जिसका फल यह है कि उनके संबोधन को वहाँ मौजूद लोग अपलक होकर सुनते रहते हैं।

कार्यक्रमों के दौरान महापौर दीपक बाली अपनी मानवीय संवेदनाओं को भी जीवंत करते हैं। शहर के वरिष्ठ नेताओं, नेताओं का मतलब किसी एक दल से नहीं, वरिष्ठ होना चाहिए चाहे वह कांग्रेस के नेता रहे हों या भाजपा के किसी के सम्मान में वह कमी नहीं आने देते। एक सफल नेता की यही पहचान है। फिलहाल महापौर दीपक बाली चुनावी परीक्षा में पास हो गये हैं। लेकिन उनकी परीक्षा अभी जारी है। अभी तक की परीक्षा में दीपक बाली अच्छे नंबर ला रहे हैं। यही सिलसिला आगे भी जारी रहा तो काशीपुर में नेता की परिभाषा बाली बदलने जा रहे हैं।

 

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