@शब्द दूत ब्यूरो (15 जनवरी 2025)
काशीपुर। मेयर का चुनाव एकतरफा होने की संभावना तभी समाप्त हो गई थी जब कांग्रेस से संदीप सहगल और भाजपा से दीपक बाली चुनाव मैदान में आमने-सामने आ गये थे। लगभग एक पखवाड़े के चुनावी प्रचार के बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। दरअसल दोनों ही प्रत्याशी दमदार हैं। दोनों के व्यक्तित्व के बीच मतदाता को फैसला करना है।
यहां सबसे मुख्य बात यह है कि भाजपा के दीपक बाली हों या कांग्रेस के संदीप सहगल दोनों का अपना व्यक्तित्व पार्टी से बढ़कर हर कोई आंक रहा है। कांग्रेस और भाजपा से अलग हटकर दोनों के व्यक्तित्व आपस में टकरा रहे हैं। जीत का अंतर भी चौंकाने वाला होगा। राजनीतिक जानकारों के अनुसार दीपक बाली और संदीप सहगल दोनों की लोकप्रियता समान रूप से है। अब यहां यह बात महत्वपूर्ण हो जाती है कि दीपक बाली अपनी लोकप्रियता के साथ पार्टी का कितना कैडर वोट हासिल कर पाते हैं? दीपक बाली के साथ पार्टी में उनके विरोधी समझे जाने वाले नेताओं के चुनाव प्रचार में उतर जाने से जनता में अच्छा संदेश गया है। लेकिन कांग्रेस के संदीप सहगल का अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण उन्हें पार्टी के कैडर वोट का पूरा हिस्सा दिलायेगा। इस बात में अब लेशमात्र भी सन्देह नहीं है। एकजुट कांग्रेस के नेताओं ने ठान लिया है कि अबकी बार कोई चूक नहीं होगी। पार्टी से ही उनका राजनीतिक भविष्य और आगामी संभावनाएं बेहतर हो सकती है। शायद ये बात उनकी समझ में आ गई है।
हार जीत के आंकड़े का तुलनात्मक प्रतिशत आज की तारीख में अगर देखा जाय तो फिलहाल 55-45 प्रतिशत का आंकड़ा दोनों प्रत्याशियों के हिस्से में आ रहा है। कौन 55 प्रतिशत पर और कौन 45 प्रतिशत जीत के आंकड़े पर है? यह शहर में लगे पार्टी के झंडों को देखकर आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। इतना जरूर है कि अनेक प्रतिष्ठानों पर झंडे बदल गये हैं। झंडे बदलने का अर्थ बदलाव भी हो सकता है। और यह बदलाव किसके पक्ष में है? यह तो परिणाम के बाद ही पता चल पायेगा।
हालांकि अभी मतदान से पहले छह दिन का चुनावी प्रचार है। इन छह दिनों में दोनों ही प्रत्याशी अपने पूरे दमखम के साथ इस मुकाबले जीत के लिए धुआंधार प्रचार में जुटेंगे। बड़े नेताओं के आगमन से मौजूदा स्थिति में क्या बदलाव कर पाते हैं?