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सरकार का दीपोत्सव प्रेम

राकेश अचल, लेखक देश के जाने-माने पत्रकार और चिंतक हैं, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में इनके आलेख प्रकाशित होते हैं।

उत्सवधर्मिता जीवन के लिए बेहद जरूरी है ,लेकिन जब सरकार अपना तेल जलाकर सियासी फायदों केलिए इसमें भागीदारी करे तब चिंता होने लगती है.खासकर जब इसमें कीर्तिमान पैदा करने की ललक भी शामिल हो .उत्तर प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा उज्जैन में शिवरात्रि की रात दीपोत्सव का आयोजन कुछ इसी तरह की चिंताओं को जन्म देता है .

उज्जैन में ‘शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव’ पर पूरे शहर में 21 लाख दीये प्रज्ज्वलित किए जा रहे हैं । इनमें से 12 लाख दीप क्षिप्रा नदी के तट पर 10 मिनट में जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक यह रिकॉर्ड श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के नाम है। अब ये कीर्तिमान भोले बाबा के नाम हो जाएगा .भाजपा की रामनामी सरकारों के बीच कीर्तिमान बनाने की इस स्पर्धा का आखिर मकसद क्या है ? सरकारों के पास करने के लिए क्या कुछ और नहीं बचा ?

दीपोत्सव मनाना बुरी बात नहीं है.लेकिन ऐसे उत्सवों के कुछ निहितार्थ होना चाहिए.इस बार ऐसा क्या हुआ है जो उज्जैन में दीपोत्सव मनाया जा रहा है.? ऐसे उत्सव समाज की जिम्मेदारी हैं किन्तु उज्जैन में समाज नाम भर के लिए है ,पूरा इंतजाम सरकार कर रही है. उत्साह से भरे उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह कहते हैं कि आज 1 मार्च को उज्जैन शहर इतिहास लिखेगा। 21 लाख दीयों का दीपोत्सव देखने के लिए आम लोगों को रात 8 बजे के बाद घाटों पर प्रवेश मिलेगा। दीप प्रज्ज्वलित करने और इसकी तैयारियां करने के लिए 1 मार्च की रात्रि 8 बजे तक घाटों पर पहुंचने वाले सभी मार्ग बंद रहेंगे।
इस दीपोत्सव में चूंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह स्वयं शामिल हो रहे हैं इसलिए जिला प्रशासन सारे काम छोड़कर दीपोत्सव को कामयाब बनाने में जुटा हुआ है .रामघाट पर 12 लाख दीपक जलाने की व्यवस्था की गयी है ताकि गिनीज बुक के लिए कीर्तिमान रचा जा सके . घाटों पर एक साथ 6000 ब्लॉक के 120 सेक्टर में करीब 14 लाख दीपों को रखा जाएगा। आपको याद होगा की अयोध्या में दीपावली के मौके पर 9 लाख 45 हजार 600 दीपक जलाए गए थे। उज्जैन में रामघाट से भूखी माता घाट तक एक साथ 12 लाख दीपक जलाए जाएंगे। शेष 9 लाख दीये शहर के अन्य स्थानों पर लगाए जाएंगे।

अयोध्या दीपोत्सव में विश्वविद्यालय परिसर, महाविद्यालय, विभिन्न गैर शिक्षक संस्थान, एनसीसी, एनएसएस समेत 12 हजार स्वयंसेवक ने सहयोग किया था। इसी तरह उज्जैन में भी नगर निगम और स्मार्ट सिटी के साथ जिला पंचायत से जुड़े 14 हजार से अधिक स्वयं सेवक जुड़ेंगे। इनमें छात्रों को भी शामिल किया गया है।अयोध्या में 9 लाख दीये जलाने में सरकार ने 1.24 करोड़ रुपए खर्च किए थे। उज्जैन में 21 लाख दीपक जलाने में सिर्फ 40 लाख रुपए का खर्चा होगा।इस लिहाज से उज्जैन का दीपोत्सव कम खर्चीला है .रामजन्मभूमि में रामलला के दरबार को भी फूलों से सजाने के बाद यहां 30 हजार दीये जलाए गए थे। महाकाल मंदिर में 51 हजार दीये जलाए जाएंगे।

दीपोत्सव की सफलता के लिए प्रशासन ने जिस तरीके से मेहनत की है वैसी मेहनत किसी भी शासकीय योजना को कामयाब बनाने के लिए आजतक नहीं की गयी .13000 स्वयं सेवकों को क्षिप्रा घाट पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए लगाया गया है, जिसके लिए 17593 स्व-पंजीकरण पहले ही किया जा चुका है। इसमें कॉलेजों , निजी सरकारी स्कूलों राष्ट्रीय सेवा योजना , खेल और युवा कल्याण , तीर्थ पुरोहितों, पंडितों और अखाड़ों से क्षत्रिय मराठा ,कायस्थ ,राठौर , गुजराती , सिंधी , अग्रवाल समुदाय से अनेकों लोग शामिल हैं , सामाजिक संगठनों, समूहों, एनजीओ,सामाजिक कल्याण समूहों , कोचिंग संस्थानों , व्यावसायिक संगठनों राजनीतिक दलों और पंचायत से ग्रामीण क्षेत्रों के स्वयंसेवक द्वारा पंजीयन करवाया गया है।
एक धर्मनिरपेक्ष देश में धार्मिक समारोहों के लिए सरकारों के बीच की प्रतिस्पर्द्धा हैरान करने वाली है .इस तरह के आयोजनों पर उंगली उठाने को धर्मविरोधी मानने वाले मान सकते हैं ,लेकिन इस बात पर बहस होना ही चाहिए की सरकारें अपना तेल जलाकर ऐसे आयोजन क्यों करें ? क्या ऐसे आयोजन दूसरे धर्मों के त्यौहारों पर भी किये जायेंगे .शायद नहीं .अतीत में ऐसे आयोजन देखे-सुने नहीं गए .सरकारों का ये धर्म प्रेम चकित करता है हमारे क़ानून ,संविधान इस तरह के आयोजनों का समर्थन नहीं करते ,फिर भी ये गलाकाट प्रतिस्पर्धाएं शुरू हो चुकी हैं .इन्हें रोका जाना चाहिए

दीपोत्सव हमेशा से खुशी का इजहार करने के लिए होते आये हैं ,होते रहेंगे,और होते रहना चाहिए ,किन्तु इनमें सत्ता की भागीदारी अनुचित है. सामूहिक ख़ुशी का इजहार करना समाज का काम है ,सरकार अपने मूल कार्यों पर ध्यान दे तो बेहतर है .जिस निष्ठा से उज्जैन कलेक्टर दीपोत्सव के लिए शर्म कर रहे हैं काश प्रदेश के सभी कलेकटर इसी निष्ठा से दूसरे शासकीय आयोजनों के लिए भी किया करें .प्रतिस्पर्द्धा का ये भाव अच्छी बात है ,इससे शासकीय योजनाओं के कार्यान्वयन में लाभकारी हो सकती है ,किन्तु ऐसा यथार्थ में होता नहीं है .बहरहाल दीप से दीप जलाइए ,दीपोत्सव मनाइये .सरकार आपके साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़ी हुई है .भगवान भोलेनाथ हमारे भोले मुख्य मंत्री की मनोकामनाएं पूरी करे .
@ राकेश अचल

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