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नागरिकों की जासूसी को लेकर पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (22 जुलाई, 2021)

पेगासस जासूसी मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है और कहा गया है कि इस मामले में शामिल लोगों पर आईपीसी और अन्य कानूनी प्रवाधानों के तहत कार्रवाई की जाए। साथ ही जासूसी के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदना अवैध और असंवैधानिक करार दिया जाए। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ये मांग भी की गई है कि इसमें जो पैसा खर्च हुआ है, सरकार उसे सूद समेत सरकारी खजाने में जमा करे।

याचिकाकर्ता वकील मोहन लाल शर्मा ने अपनी याचिका में प्रधानमंत्री कार्यालय को भी प्रतिवादी बनाया है। याचिका में कहा गया है कि नागरिकों के मौलिक अधिकार को पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जासूसी से बचाना चाहिए। इस मामले पर सीबीआई में शिकायत दर्ज की गई। लेकिन सीबीआई ने एफआईआर दर्ज नहीं की। क्या पीएम और उनके मंत्री भारत के नागरिकों की जासूसी कर सकते हैं? सीबीआई, एनआईए आदि विपक्ष, जनता, पत्रकारों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की जासूसी करने के लिए पेगासस का उपयोग कर रहे हैं। भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है।

बता  दें कि केंद्र पर पेगासस स्पाईवेयर के जरिए कई नेताओ,पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी का आरोप लग रहा है। पेगासस स्पाइवेयर को इजरायली साइबर फर्म एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाया गया है। कंपनी का दावा है कि इस फर्म का काम इसी तरह के जासूसी सॉफ्टवेयर बनाना है और इन्हें अपराध और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने और लोगों के जीवन बचाने के एकमात्र उद्देश्य के लिए सरकारों की खुफिया एजेंसियों को बेचा जाता है।

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