@विनोद भगत
काशीपुर । आमतौर पर अपने दिवंगत प्रियजनों की स्मृति में लोग एक दीप जला देते हैं या संदेशों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। लेकिन काशीपुर की मिनी अरोरा ने कैंसर जैसी बीमारी से जूझते हुये अपनी मां के निधन के बाद उनकी स्मृतियों को जीवंत रखने के लिए महिलाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार तो दिया ही है उनके स्वास्थ्य को भी बेहतर रखने का प्रयास किया है।
रोजगार परक सोच , सामाजिक वर्जनाओं के चक्रव्यूह को तोड़ने और स्वावलंबन की एक अनोखी मिसाल है मिनी अरोरा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मिनी अरोरा की यह दास्तान।
मिनी अरोरा कहती हैं कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान जिन कठिन स्वास्थ्य सबंधी दुश्वारियों से जूझना पड़ता था वह कष्टकारी था। साथ ही हमारी सामाजिक मान्यताओं के चलते ऐसे समय होने वाली दिक्कतों का शर्म और झिझक की वजह से किसी से न कह पाना संभव नहीं हो पाता।
मिनी अरोरा ने अपनी मां चंचल के निधन के बाद चंचल मैमोरियल सोसाइटी बना कर सैनेटरी नैपकिन बनाने की शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने निराश्रित महिलाओं को सैनेटरी नैपकिन बनाने का प्रशिक्षण देकर एक यूनिट लगाई। जिसमें एक दर्जन से अधिक महिलायें नैपकिन बनाकर रोजगार पा रही हैं।
मिनी अरोरा बताती है कि कई महिलायें सीधे उनसे संपर्क कर नैपकिन मंगाती हैं। एक महिला होने की वजह से इस बारे में उनसे बात करने पर महिलाओं को झिझक भी नहीं होती।