नई दिल्ली। अस्पतालों में पार्थिव शरीरों के अवशेषों पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रोटोकॉल बनाने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई। शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि वैसे ही मुद्दे पर अदालत खुद स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।
याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘अदालत ने खुद ही अस्पतालों में शव के गरिमापूर्ण रखरखाव को लेकर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। ऐसे में ये सब मुद्दे कवर किए जा चुके हैं, इसलिए हम इस याचिका पर सुनवाई के लिए इच्छुक नहीं हैं। आप उस मामले में हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर सकते हैं।’
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है कि वह केंद्र और राज्यों को एक उचित अवधि के भीतर महामारी और गैर-महामारी के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शव अवशेष प्रबंधन निपटान के प्रोटोकॉल स्थापित करने के लिए निर्देश जारी करें। याचिका में इस प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन के लिए जिला चिकित्सा अधिकारी को उचित प्राधिकारी के तौर पर नामित करने और पीड़ा और संकट से बचने के लिए इस प्रोटोकॉल के सख्त पालन के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की भी मांग की गई है।
याचिकाकर्ता, जी मनोहर ने याचिका में कहा है कि इस मामले में नई दिल्ली में द्वारका के एक निजी अस्पताल ने उनकी मां की मौत के बाद लापरवाही बरतते हुए पार्थिव शरीर का सभ्य तरीके से अंतिम संस्कार का मौका ना देते हुए याचिकाकर्ता की मां का शव बिना किसी जांच या सत्यापन के, पूरी तरह से अजनबी व्यक्ति को सौंप दिया था।