काशीपुर । महाराष्ट्र की शिवसेना की तर्ज पर उत्तराखंड में पर्वतीय निवासियों ने देवसेना के बैनर तले पहाड़ियों के हक हूकूक की लड़ाई की शुरुआत कर दी। आज यहाँ सैनिक कालोनी में पंचायत भवन में देवसेना संगठन के राष्ट्रीय और तमाम प्रादेशिक पदाधिकारियों ने स्थापना दिवस मनाया।
इस दौरान अब तक की केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पर्वतीय मूल के निवासियों की उपेक्षा के खिलाफ संगठित होकर लड़ाई लड़ने का शंखनाद किया। वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड चाहता है आज यहाँ हो सिर्फ पहाड़ियों का राज। यही नहीं उत्तराखंड में 1950 से पहले निवास कर लोगों को मूल निवासी बनाये जाने की पुरजोर मांग की। देवसेना संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य के युवाओं को यहाँ नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की वकालत की। अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण, बिहार में बिहारियों को आरक्षण और राजस्थान में जाट आरक्षण की तर्ज पर यहाँ पर्वतीय लोगों को नौकरियों में प्राथमिकता दी जाये।
देवसेना संगठन की एक बड़ी मांग है कि पर्वतीय क्षेत्रों की विधानसभा सीटों का पुनः परिसीमन कर मौजूदा व्यवस्था के स्थान पर एक विधानसभा सीट को दो विधानसभाओं में बांटा जाये। जिससे पहाड़ियों की भागीदारी बढ़े। जो बाहरी लोग उत्तराखंड में रह रहे हैं उनका पुलिस सत्यापन किया जाये। आदमखोर जानवरों के हमले में जन और जानवर की हानि पर चिंता व्यक्त करते हुए देवसेना के पदाधिकारियों ने आदमखोर जानवरों को मारने की नीति भी बदलने की मांग की।
इस अवसर पर मौजूद देवसेना संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र देशवाल, प्रदेश अध्यक्ष सूरज भारद्वाज प्रदेश संगठन मंत्री शंभू लखेड़ा, सैन्य प्रकोष्ठ अध्यक्ष त्रिलोक सिंह नेगी, प्रदेश महामंत्री ललित बिष्ट एडवोकेट, राष्ट्रीय महासचिव माही बिष्ट, दयालनाथ गोस्वामी, संजय रावत, परमानंद नैनवाल, सुखदेव सिंह रावत, मनीष जोशी, हरीश मासीवाल, रमेश बलोदी, श्रीमती हीरा देवी जोशी, जयंती थापा, रितिक लखेड़ा, रमेश रावत, जयपाल रावत, शीशपाल रावत समेत सैकड़ों देवसैनिक शामिल थे ।