@शशांक राणा
चमोली। जनपद के पलेठी गाँव मे आज से बगडवाल नृत्य का आयोजन किया गया। पहाड़ के अधिकतर गांवों में समय समय पर ऐसे सांस्कृतिक और पारंपरिक कार्यक्रमो का आयोजन होता रहता है।
मान्यताओं के अनुसार गढ़वाल रियासत की गमरी पट्टी के बगोड़ी गांव पर जीतू का आधिपत्य था। अपनी तांबे की खानों के साथ उसका कारोबार तिब्बत तक फैला हुआ था। एक बार जीतू अपनी बहिन सोबनी को लेने उसके ससुराल रैथल पहुंचता है। बहाना अपनी प्रेयसी भरणा से मिलने का भी है, जो सोबनी की ननद है। दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। जीतू बांसुरी भी बहुत सुंदर बजाता है। और..एक दिन वह रैथल के जंगल में जाकर बांसुरी बजाने लगा। बांसुरी की मधुर लहरियों पर आछरियां (परियां) खिंची चली आई। वह जीतू को अपने साथ ले जाना (प्राण हरना) चाहती हैं। तब जीतू उन्हें वचन देता है कि वह अपनी इच्छानुसार उनके साथ चलेगा। आखिरकार वह दिन भी आता है, जब जीतू को परियों के साथ जाना पड़ा।
जीतू के जाने के बाद उसके परिवार पर आफतों का पहाड़ टूट पड़ा। जीतू के भाई की हत्या हो जाती है। तब वह अदृश्य रूप में परिवार की मदद करता है। राजा जीतू की अदृश्य शक्ति को भांपकर ऐलान करता है कि आज से जीतू को पूरे गढ़वाल में देवता के रूप में पूजा जाएगा। जीतू का वह सेरा आज भी सेरा मल्ली नाम से प्रसिद्ध है।
गांव के बुजुर्ग और नवयुवक मंगलदल के सदस्यों का कहना है कि समय समय पर ग्राम पलेठी में बगडवाल नृत्य और पारंपरिक कार्यक्रमो का आयोजन होता रहता है । और आगे भी अपनी संस्कृति को बचाने के लिए ऐसे कार्यक्रम करते रहेंगे।
इस मौके पर विक्रम रावत, दर्शन नेगी, नीरज चौहान, कुलदीप रावत , मयंक रावत, कैलाश,कुलदीप और अन्य लोग शामिल थे।