नई दिल्ली। बिहार विधान सभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव के 10 लाख सरकारी नौकरी देने के वादे के जवाब में बीजेपी ने 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था। हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी के दावों की खिल्ली उड़ाई थी लेकिन बाद में बीजेपी ने सुशील मोदी और नीतीश कुमार की राय से इतर राज्य में चार लाख नौकरियों समेत कुल 19 लाख रोजगार देने का वादा अपने चुनावी घोषणा पत्र यानी संकल्प पत्र में किया था। बीजेपी ने पार्टी के संकल्प पत्र में 5 सूत्र,1 लक्ष्य और 11 संकल्प व्यक्त किए थे। साथ ही पार्टी ने इसके लिए अगले पांच साल का रोडमैप भी जारी किया था।
बीजेपी के संकल्प के मुताबिक एक साल में तीन लाख शिक्षकों की भर्ती के अलावा राज्य को अगले पांच वर्ष में आईटी हब बनाकर 5 लाख रोजगार देना है। इसके अतिरिक्त 50 हजार करोड़ रुपये की मदद स्वयं सहायता समूहों को देकर एक करोड़ महिलाओं को स्वावलंबी बनाना भी है। कृषि और कृषि से संबंधित (एग्रो फुड) क्षेत्र में मक्का, फल-सब्जी, चूड़ा, मखाना, पान, मसाला, शहद, मेंथा और औषधीय पौधों के लिए सप्लाई चेन बनाकर 10 लाख रोजगार सृजन का भी वादा बीजेपी ने किया है।
नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को वित्त, वाणिज्य और सूचना प्रौद्योगिकी समेत पांच विभाग दिए गए हैं। इनके अलावा दूसरी उप मुख्यमंत्री रेणु देवी को उद्योग समेत महिला कल्याण और पंचायती राज विभाग दिया गया है। कृषि मंत्रालय भी बीजेपी कोटे से मंत्री बने अमरेंद्र प्रताप सिंह को दिया गया है। सिर्फ नौकरी के लिए दूसरा उपजाऊ शिक्षा विभाग ही जेडीयू कोटे में रखा गया है। ऐसे में साफ नजर आ रहा है कि रोजगार सृजन करने या राज्य में उद्योग धंधे लगाने की जिम्मेदारी और वित्त, वाणिज्य से लेकर राजस्व संग्रह और उसके प्रबंधन की भी जिम्मेदारी सीएम नीतीश कुमार ने चालाकी से सहयोगी दल भाजपा के कंधों पर डाल दिया है।
अब इसे नीतीश कुमार की मजबूरी कहा जाय या चालाकी, उन्होंने 19 लाख रोजगार देने के मामले में बीजेपी के संकल्प से अपना पीछा छुड़ा लिया है। वैसे जहां तीन लाख नौकरियां संभव है, यानी शिक्षा विभाग, उसे उन्होंने अपने खेमे में रखा है। चुनावों के वक्त यह बात सामान्य तौर पर उभरी कि प्रवासी श्रमिकों में नीतीश सरकार के खिलाफ गुस्सा है। अब जब सारे रोजगार सृजन और उसके प्रबंधन से जुड़े महकमे जब बीजेपी कोटे में चले गए हैं तब यह सवाल भी एक तरह से अब बीजेपी के कोटे में ट्रांसफर हो गया है कि वो अगले पांच साल में कितनी नौकरियां या रोजगार लोगों को देते हैं।