@विनोद भगत
काशीपुर । एक दौर था जब काशीपुर के मतदाताओं द्वारा चुना गया नेता केन्द्र या प्रदेश में मंत्री मुख्यमंत्री बनना तय था। उस दौर में शहर का मतदाता इस बात के लिए गर्व महसूस किया करता था। पर पिछले कुछ समय से मतदाता सिर्फ प्रतिनिधि चुनने की औपचारिकता मात्र निभा रहा है।
यह इस शहर के मतदाताओं के लिए दुर्भाग्य है कि पिछले बीस वर्षों से यहाँ के जनप्रतिनिधियों को केन्द्र या प्रदेश में नजरअंदाज किया जाता रहा है। परिणामस्वरूप जनप्रतिनिधि शहर के विकास से ज्यादा सरकार की उदासीनता का समय-समय पर रोना रोते रहे। पार्टी की निष्ठा के साथ अपनी बयानबाजी में संतुलन रखते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त करते रहे।
भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों ने स्थानीय नेताओं को इस्तेमाल किया और स्थानीय नेताओं ने भी उसी नीति को अपनाया। लेकिन इसका खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ा। अपनी अपनी पार्टी के नेता एक दूसरे की शान में कसीदे गढ़ते रहे शहर के विकास की किसी को चिंता नहीं थी।
शहर के उद्योग एक एक कर बंद होते रहे। रोजगार के लिए युवा शोर मचाते रहे। टूटी सड़कों का लोग जिक्र करते रहे। लेकिन नेताओं की तारीफ में कोई कमी नहीं आई।
ऐसे में शहर को जरूरत है एक ऐसे प्रतिनिधि की जो या तो राष्ट्रीय स्तर का हो या फिर लोगों के बीच से निकला ऐसा व्यक्ति जो हर किसी से जुड़ा हो। जिसका हर व्यक्ति से संवाद स्थापित हो। क्या विकास की राह पर थके हुए काशीपुर को मिल पायेगा ऐसा नेता? यह सवाल जरुरी है और इससे भी ज्यादा जरूरी है इसका जबाब हर किसी को ढूंढना।