@शब्द दूत ब्यूरो
सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर केंद्र की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में मतभेद साफ तौर उभरते नजर आ रहे हैं। एनडीए में बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया है, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार भी कर लिया है। जिसके बाद एनडीए के एक और सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पर साथ छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है। हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी की सरकार है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘दुष्यंत जी हरसिमरत कौर बादल की तरह आपको भी कम से कम डिप्टी सीएम की पोस्ट से इस्तीफा दे देना चाहिए। आपको किसानों से ज्यादा अपनी कुर्सी प्यारी है।’
वहीं इस मामले में कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट किया, ‘पंजाब के अकाली दल, आम आदमी पार्टी ने संसद में कांग्रेस के साथ किसान विरोधी 3 अध्यादेशों का विरोध करने का साहस दिखाया, पर दुर्भाग्य कि हरियाणा के बीजेपी, जेजेपी नेता सत्ता-सुख के लिए किसान से विश्वासघात करने लगे हुए हैं। जब पंजाब के सब दल किसान के पक्ष में एक हो सकते हैं तो हरियाणा बीजेपी-जेजेपी क्यों नहीं। हरियाणा के सत्तासीन बीजेपी-जेजेपी नेता क्यों किसान से विश्वासघात कर रहे हैं?
पंजाब में अकाली दल और हरियाणा में जेजेपी में एक से ज्यादा समानताएं हैं। राजनैतिक रिश्तों की बात करें तो बादल परिवार और चौटाला परिवार पारिवारिक मित्र हैं। किसान अध्यादेश का विरोध करने के दौरान सुखबीर सिंह बादल ने बड़े किसान नेता देवीलाल को भी याद किया था। यह भी माना जाता है कि हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन कराने में बादल परिवार का अहम रोल था। शिरोमणि अकाली दल और जेजेपी, दोनों ही पार्टियों का अपना ग्रामीण वोट बैंक है। किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। जेजेपी इस किसान बिल का समर्थन कर रही है और उसने कांग्रेस पर किसानों को बहकाने का आरोप लगाया है, लेकिन अब किसानों के मुद्दे पर पार्टी में अंदरुनी कलह बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि 10 सितंबर को किसान कुरुक्षेत्र जिले में इस विधेयक का विरोध करने को रैली के लिए पहुंचे थे। पुलिस ने उन्हें रोक दिया था और किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। कई किसान गंभीर रूप से घायल हुए। जिसके बाद विपक्ष ने किसानों की आवाज दबाने की बात कहते हुए सरकार पर हमला बोला। हरियाणा सरकार को समर्थन दे रहे जेजेपी विधायक भी अब आशंकित नजर आ रहे हैं। उन्होंने पीपली में हुए किसानों पर हमले को निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए कि पहले उनको रोका गया और बाद में इजाजत दे दी गई।
राजनैतिक नुकसान को देखते हुए जेजेपी ने लाठीचार्ज को लेकर किसानों से माफी मांगी है। दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला जोकि जेजेपी की यूथ विंग के अध्यक्ष हैं, ने कहा, ‘किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर जेजेपी माफी मांगती है। जेजेपी हमेशा किसानों के साथ है और किसानों के हित की बात पार्टी के लिए सबसे ऊपर है। किसानों पर हुए लाठीचार्ज के वीडियो को देखने के बाद हमने सबसे पहले इसकी निंदा की क्योंकि ये गलत था।’ बता दें कि दुष्यंत चौटाला ने अभी तक इस किसान विधेयक का विरोध नहीं किया है। यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है। बहरहाल यह पहला मौका है जब पार्टी बैकफुट पर नजर आ रही है, लेकिन एक सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या किसानों का दिल जीतने के लिए चौटाला परिवार भी बादल परिवार के नक्शेकदम पर चलेगा।