@विनोद भगत
त्रिवेन्द्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। ऐसी सियासी गलियारों में चर्चा है। और इस चर्चा को लेकर अब सियासी हल्कों में यह बड़ी बहस शुरू हो गई है कि नारायण दत्त तिवारी का पांच सालों तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड क्या मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत तोड़ पायेंगे?कांग्रेस का ही नहीं भाजपा का भी रिकार्ड टूटेगा अगर त्रिवेन्द्र सिंह रावत पूरे पांच साल मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल पूरा करते हैं।
इस समय प्रदेश में भाजपा विधायकों की बैठकें और उनकी नाराजगी सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर रही है। मुख्यमंत्री से मिलकर भी विधायकों की नाराजगी दूर नहीं हुई है। वरिष्ठ विधायक बिशन सिंह चुफाल ने तो विधायकों के उनसे मिलने पर यह कह दिया कि मुझे वरिष्ठ होने के नाते उनके गार्जियन की भूमिका निभानी पड़ती है। मतलब विधायक नाराज हैं।
उधर विधायक होस्टल में चाय की चुस्कियों के साथ विधायकों की बैठक ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। कुमाऊं और गढ़वाल के विधायक सरकार के विरूद्ध लामबंद हो रहे हैं। ऐसे में त्रिवेन्द्र सिंह रावत के पांच साल मुख्यमंत्री रहने के रिकॉर्ड पर खतरा मंडरा रहा है। वैसे भी अपने कार्यकाल में त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपने विरोधियों को लेकर सजग रहे हैं। गाहे-बगाहे विरोधियों पर कार्रवाई करके उन्होंने अपने राजनीतिक दुश्मन कम करने के बजाय बढ़ाने का काम किया है। इस मामले में उनके सलाहकारों की भूमिका उनसे कहीं ज्यादा रही है।
अपुष्ट खबरें ऐसी भी आ रही हैं कि गढ़वाल के एक वरिष्ठ भाजपा विधायक अपनी पूरी तैयारी कर चुके हैं। चुनाव से पहले परिवर्तन को लेकर गोटियाँ फिट की जा रही है। सवाल फिर वही क्या पांच सालों का रिकॉर्ड कायम हो पायेगा?