@विनोद भगत
प्रदेश के भाजपा विधायकों में बढ़ता रोष सरकार के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहा है। हालांकि भाजपा विधायकों की सरकार से सीधी शिकायत नहीं है लेकिन गाहे-बगाहे भाजपा विधायकों का व्यवस्था पर प्रश्न उठाना ऐसा लगता है कि वह भाजपा के नहीं वरन विपक्ष के विधायक हैं। सरकार के लिए यह स्थिति असहज होती जा रही है। लेकिन 57 विधायकों का बहुमत प्राप्त सरकार के लिए कोई खतरा नहीं है पर अपने ही विधायकों की नाराजगी किसी भी पार्टी के लिए परेशानी का सबब हो सकती है।
काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा से शुरु आत करें तो वह समय-समय पर अधिकारियों को लेकर शिकायत करते नजर आते हैं। यद्यपि विधायक चीमा सीधे सरकार पर हमलावर नहीं पर पुलिस व ब्यूरोक्रेसी पर सवाल उठाते रहे हैं। उधर पिथौरागढ़ के डीडीहाट से भाजपा विधायक बिशन सिंह चुफाल भी अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर अपन नानाराजगी जता रहे हैं। वह तो यहाँ तक कहते हैं कि अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री तक को लिखित शिकायत की लेकिन एक माह बीतने के बावजूद कुछ नहीं हुआ।
फरवरी में हरिद्वार ग्रामीण से भाजपा विधायक स्वामी यतीश्वरानंद अपनी ही सरकार में वरिष्ठ मंत्री मदन कौशिक के खिलाफ तीखा हमला बोल चुके हैं । उन्होंने मंत्री पर धंधेबाजों को संरक्षण देने के साथ ही जमीन की खरीद-फरोख्त में भी शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी उठाई।
ताजा और सबसे मामला द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी को लेकर भाजपा बेहद असहज और रक्षात्मक है। महिला द्वारा लगाये गये यौन शोषण के आरोप में घिरेे महेश नेगी के मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस ने पूूरे प्रदेश में प्रदर्शन कर सरकार को सांसत में डाल दियाहै कांग्रेस जनांदोलन छेड़ने की बात कर रही है। पार्टी अब नेगी का जवाबतलब करने जा रही है। यदि वे पार्टी को संतुष्ट नहीं कर पाए तो वे मुश्किल पड़ सकते हैं।
लोहाघाट से भाजपा विधायक पूरन फर्तियाल भी अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं। टनकपुर जौलजीबी सड़क का ठेका उनकी मांग पर सरकार ने पहले तो रद्द कर दिया। लेकिन बाद में फिर उसी ठेकेदार को इस सामरिक महत्व की सड़क का ठेका दे दिया गया। दरअसल आर्बिटेटर ने ठेकेदार के पक्ष में फैसला दिया। पूरन फर्तियाल ने तो सरकार के जीरो टालरेंस पर भी सवाल उठा दिये हैं।
झबरेड़ा के भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल को पार्टी ने अनुशासनहीनता का नोटिस दिया है। सोशल मीडिया पर उनका एक ऑडियो वायरल हुआ था। इस ऑडियो को पार्टी ने अनुशासनहीनता के दायरे में माना था। हालांकि कर्णवाल का कहना था कि ऑडियो में उनकी आवाज नहीं है। बहरहाल, पार्टी सूत्रों के अनुसार, कर्णवाल नोटिस का जवाब तो दे चुके हैं, लेकिन पार्टी ने उन्हें अपना पक्ष रखने को बुलाया है। उन्हें पार्टी नेतृत्व की ओर से कड़ी चेतावनी दी जा सकती है।
उधर दबंग राजनीति के माहिर खानपुर के विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन फिलहाल भाजपा से निष्कासित हैं। उन्हें दिल्ली में एक मीडियाकर्मी से दुर्व्यवहार करने के मामले में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था। निष्कासन से पहले चैंपियन और कर्णवाल के बीच छिड़े विवाद को लेकर भी पार्टी की खासी किरकिरी हुई थी। लेकिन निष्कासन के बाद से चैंपियन की खामोशी से भाजपा नेतृत्व प्रभावित है। चैंपियन भी घरवापसी की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी ने उन्हें भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है। आज चार विधायकों को पार्टी ने बुलाया है और उनसे अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
ऐसे में आज प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी की बैठक अपने आप में महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में विवादित विधायकों का मुद्दा जोर शोर से चर्चा में रहेगा। क्या बहुमत से लवरेज उत्तराखंड भाजपा इन विधायकों को लेकर कड़े रुख को अपना पायेगी या फिर मात्र चेतावनी दी जायेगी। इस बैठक में चुनाव की रणनीति और तैयारियों पर भी चर्चा होने की संभावना है। खास तौर पर सोशल मीडिया पर किस तरह से कैंपेन चलाया जाये यह भी महत्वपूर्ण विषय रहेगा। दरअसल कांग्रेस सोशल मीडिया पर पिछड़ी हुई है लेकिन सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग करने में माहिर आम आदमी पार्टी के प्रदेश में पैर जमाने की कोशिश से भाजपा की चिंता बढ़ गई है। हालांकि प्रकट में भाजपा के नेता और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत आप को लेकर गंभीर न होने का दिखावा कर रहे हैं। पर भीतर ही भीतर आम आदमी पार्टी की सक्रियता से भाजपा में बेचैनी बढ़ रही है।