@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। कोरोना के नए केसों में आई वृद्धि का सिलसिला अब थम रहा है। इसमें गिरावट का प्रतिशत बढ़ा है। कोरोना महामारी के कर्व के ‘फ्लैट’ होने से इसकी पुष्टि होती है। कोरोना केसों की वृद्धि दर में गिरावट का अब तक का ट्रेंड कुछ सप्ताह पहले प्रतिशत 3.7 था जो इस समय गिरते हुए 2.3 तक आ गया है यानी कोरोना के रोजाना आ रहे नए केसों की रफ्तार में कमी आई है। हालांकि यह बात भी काबिल-ए-गौर है कि वृद्धि की यह दर भी इस समय दुनिया में सबसे अधिक है। ऐसे में इस ट्रेंड को आगे भी जारी रखने की जरूरत है, इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन जरूरी है।
नए कोरोना केसों में इजाफे की यह दर बनी रही तो मध्य सितंबर तक भारत कोरोना केसों की कुल संख्या में ब्राजील को पीछे छोड़ देगा और अक्टूबर माह की शुरुआत तक अमेरिका को भी यह पछाड़ सकता है। कोरोना केसों में गिरावट का यह प्रतिशत बरकरार रहा और पहले से ज्यादा मजबूत हुआ तो ऐसी नौबत आने से बचा जा सकता है।
कोरोना के केसों के कम होने की पहले वजह यह थी कि भारत में कम कोरोना टेस्ट हो रहे थे। अब देशभर में कोरोना के टेस्ट की संख्या में तेजी लाई गई है। जुलाई माह के अंत तक टेस्ट की संख्या 4.2 लाख की थी तो अब बढ़कर 9 लाख टेस्ट रोजाना तक पहुंच गए हैं।
हालांकि यहां एक समस्या है। टेस्ट की संख्या में हुई इस जबर्दस्त वृद्धि का एक कारण यह है कि अधिकतर राज्य रैपिड एंटीजन टेस्ट का ज्यादा सहारा ले रहे हैं। एंटीजन टेस्ट वैसे तो सस्ता है लेकिन यह परंपरागत RT-PCR टेस्ट की तुलना में कम विश्वसनीय माना जा रहा है।
भारत में कोरोना से मौतों का प्रतिशत दूसरे देशों की तुलना में लगातार नीचे बना हुआ है। जहां इस मामले में विश्व औसत 3.5 से चार प्रतिशत तक है। कुछ देशों में तो कोरोना से मौतों का प्रतिशत इससे भी बहुत ज्यादा है जैसे-इटली का 14 और स्पेन का 10 प्रतिशत।
भारत में कोरोना मृत्यु दर ज्यादातर देशों से लगातार नीचे है। पिछले तीन-चार सप्ताह में ये यह घटते हुए 2.4 फीसदी से 1.9 फीसदी तक आ गई है। कई लोग मानते हैं कि भारत में युवा लोगों की ज्यादा संख्या के कारण मृत्यु दर कम है।