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काशीपुर: राजनीति की हवा का रुख बदलेगी आम आदमी पार्टी? विकास के नाम पर छली हुई जनता ढूंढ रही विकल्प , अंतर्विरोधों से ग्रसित भाजपा कांग्रेस

@विनोद भगत 

काशीपुर की राजनीति अब एक नये मोड़ पर आ खड़ी हुई है। पिछले 20 वर्ष से लगातार विधायक का चुनाव जीतते आ रहे हरभजन सिंह चीमा के सामने अब मुश्किलों का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस में इतना दम नहीं कि वह भाजपा को सीधी चुनौती दे सके। ऐसे में अब भाजपा के भीतर से ही चीमा को घेरने की कोशिश की जा रही है। तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी चुनाव से दो साल पहले ही अपनी तैयारी में जुट गई हैं।

दरअसल कांग्रेस में हरीश रावत को दरकिनार करने का खामियाजा पार्टी को भुगतना ही होगा। वैसे अगर देखा जाए तो उत्तराखंड में कांग्रेस के पास एक सर्वमान्य चेहरा हरीश रावत का हो सकता था। एक कड़वाससच यहाँ के संदर्भ में यह है कि जितना विरोध आमतौर पर कांग्रेस यहाँ हरीश रावत का करती है उससे कम भाजपा विधायक चीमा का करती है। इसलिए भाजपा से ज्यादा खतरा नहीं खुद कांग्रेस से ही कांग्रेस को है। पर अब लगता है कि यही परिपाटी यहाँ के भाजपाइयों ने भी अपनानी शुरू कर दी है।

पिछले कुछ दिनों से भाजपा विधायक चीमा पर पार्टी के भीतर से ही हमला होने लगा है वह अप्रत्याशित नहीं है। चार बार से विधायक बनते आ रहे चीमा पार्टी के उन महत्वाकांक्षी लोगों के लिए रोड़ा हैं जो कि जनप्रतिनिधि बनने की राह देख रहे हैं। पिछले दिनों एक भाजपा नेत्री ने जिस तरह से काशीपुर के रूके हुये विकास कार्यों को विधानसभा में उठाकर पूरा करवाने की बात कही है। उससे जाहिर होता है कि अब बस करिये। अब हमें भी मौका दीजिए। ये एक तरह से मौजूदा विधायक चीमा की आने वाली राह में मुश्किलों की शुरुआत कही जा सकती है।

उधर आम आदमी पार्टी काशीपुर में जिस तरह से सक्रिय हुई है वह भी यहाँ की राजनीति को दिलचस्प मोड़ देने जा रही है। हालांकि भाजपा की कोशिश पूरी तरह से आम आदमी पार्टी को नकारने की रही है। पर इस बार स्थिति बदली हुई है। पार्टी में जिस तरह से लोग शामिल हुए हैं वह आने वाली राजनीति का चौंकाने वाला एपिसोड होगा। आम आदमी पार्टी का मतलब लोग सीधे केजरीवाल को लगाते हैं। और दो चार भले बुरे शब्द कहकर अपनी भड़ास भी निकाल देते हैं।

केजरीवाल को गरियाकर वह यह भूल जाते हैं कि शहर के विकास का जीता जागता प्रमाण जिसके वादे भाजपा और कांग्रेस दोनों करते आये हैं। उसकी हकीकत यहाँ की जनता खुद देख रही है। कई मुद्दों पर पर भाजपा से जबाब देते नहीं बनता। अब कितना कांग्रेस को आरोपित किया जा सकता है शहर की बदहाली के लिए। पिछले 20 वर्ष से भाजपा का विधायक पिछले दो कार्यकाल से भाजपा का मेयर और पिछले तीन सालों से प्रदेश में भाजपा की सरकार। अब इसमें कांग्रेस को कब तक दोषी ठहराने की परंपरा निभायी जा सकती है। जनता सब जानती है।

विधायक चीमा काशीपुर को जिला बनाने के लिए कांग्रेस की सरकार के दौरान काफी मुखर थे। अब भाजपा की सरकार बनने के बाद जिले की चर्चा तक नहीं करते। एक फ्लाईओवर जरूर भाजपा के पास विकास की इबारत लिखने के लिए है। पर उसके लिए भी यहाँ के लोगों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।

कुल मिलाकर भाजपा कांग्रेस के लिए 2022 का आने वाला रण काफी मुश्किलें लेकर आ रहा है। मोदी के चेहरे परहहर बार चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है और राम मंदिर का निर्माण हो रहा है इसलिए यह मुद्दा भी अब चुनावी नहीं रह पायेगा। तो क्या आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस से कहीं ज्यादा ताकत से भाजपा को चुनौती देने जा रही है? यह अपने आप में बड़ा सवाल है काशीपुर के संदर्भ में। दरअसल एक प्रमुख समाजसेवी व बिल्डर की आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हैं। हालांकि उन्होंने अभी इस बारे में खुलकर अपनी ओर से कुछ नहीं कहा है। इसके बावजूद लोगों में कयास लगने शुरू हो गये हैं। और यही कारण है कि आम आदमी पार्टी में कई लोग शामिल हो रहे हैं। आने वाले समय में शहर के कुछ और नामचीन चेहरे और हस्तियां जिनमें कांग्रेसी व भाजपाई दिग्गज हैं वह भी आम आदमी पार्टी में नजर आयेंगे। राजनीति की हवा का रुख बदल रहा है शहर काशीपुर में।

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