@विनोद भगत
राजधानी से बड़ी खबर है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत पूरी कैबिनेट सेल्फ क्वारंटाइन में चली गई है। राजनीतिक गलियारों में कार्यवाहक मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चाएं भी चल रही हैं। इस सबके बीच ये सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि अगर राज्य के कैबिनेट मंत्री जैसे लोग असुरक्षित हैं तो फिर आम जनता का क्या होगा।
दरअसल, राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर ने राज्य सरकार के होश उड़ा दिए। उनके अलावा परिवार के अन्य कई लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई बताई जाती है।
इधर, बीते शुक्रवार को मंत्री सतपाल महाराज ने प्रदेश के आला अफसरों के साथ कैबिनेट की बैठक में भी भाग लिया था। महाराज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद बहस छिड़ गयी थी कि क्या मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट बैठक में भाग लेने वाले मंत्री क्वारंटाइन में जायेंगे? अंततः आज सुबह इन सभी के क्वारंटाइन में जाने का फैसला ले लिया गया। खुद भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री डा देवेंद्र भसीन ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है।
अब प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दौर में एक और नयी बहस राजनीतिक गलियारों में चलने लगी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के क्वारंटाइन में जाने के बाद राज्य के कामकाज को लेकर यह चर्चा है कि मुख्यमंत्री के क्वारंटाइन में रहने के दौरान राज्य का कामकाज कैसे चलेगा? चूंकि क्वांरटाइन अवधि के दौरान मुख्यमंत्री किसी से मिल नहीं सकते, ऐसे में यह चर्चा होना स्वाभाविक है कि क्या किसी वरिष्ठ मंत्री को कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाएगा।सोशल मीडिया पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री के लिए कई नामों को उछाला जा रहा है। ध्यान रहे कि दो मंत्री यशपाल आर्य और अरविंद पांडे कैबिनेट की उस बैठक में अनुपस्थित थे।
शब्द दूत ने इस संबंध में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार दर्शन सिंह रावत से बात की तो उन्होंने इन चर्चाओं को महज हवाई चर्चा बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सेल्फ क्वारंटाइन में हैं। रही कामकाज की बात तो वह फोन पर आदेश दे सकते हैं। उन्होनें कहा “वैसे भी दो तीन दिन की बात है। कोरोना सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद सब कुछ सामान्य हो जायेगा। कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाये जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। यह सिर्फ सोशल मीडिया में चल रही अफवाहें मात्र हैं।”