@विनोद भगत
काशीपुर । तो कोरोना महामारी का मुकाबला ऐसे लापरवाही से किया जायेगा। जी हाँ काशीपुर में डेढ़ वर्षीय बच्चे के शव के तीन दिन से पोस्टमार्टम के लिए रखे होने से यह खुलासा हुआ है। हालांकि आज बच्चे का शव बिना पोस्टमार्टम और कोरोना टेस्ट रिपोर्ट के आये बिना परिजनों को सौंप दिया गया है।
दरअसल लाहौरियान निवासी हरिओम सक्सैना के पुत्र आयुष की बीमारी से मौत हुई थी। आसपास के लोगों के दबाब में बच्चे के पिता ने कोरोना टेस्ट का अनुरोध किया था। वहीं बच्चे के पोस्टमार्टम का भी अनुरोध परिजनों की ओर से किया गया था। पोस्टमार्टम इसलिए नहीं किया गया कि कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही थी।
यहाँ प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आयी है इस प्रकरण में। बच्चे की मौत बीमारी से हुई थी। शव पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया था। कोरोना की रिपोर्ट आने तक बच्चे के शव को रोजमर्रा की तरह मोर्चरी में रखा गया था। यही नहीं शव को सुरक्षित रखने के लिए परिजनों द्वारा बर्फ बदली जा रही थी। मतलब कोरोना से बचाव के लिए कोई एहतियात नहीं बरती जा रही थी।
जब तक टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ रही तब तक कोविड-19 से बचाव के लिए पीएम हाउस में कोई ऐसे इंतजाम नहीं थे। आशंका के बीच लोग पोस्टमार्टम हाउस में आते रहे जिनमें पुलिस कर्मी भी शामिल हैं। तो क्या रिपोर्ट आने से पहले ही यह मान लिया गया कि कोरोना नहीं है। यह बात अपने आप में आश्चर्यजनक है कि कोरोना के नाम पर पोस्टमार्टम तो रोका गया पर कोरोना फैलने से बचने के लिए जो जरूरी सतर्कता बरतनी चाहिए थी उन पर अमल नहीं किया गया।
एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि बच्चे की मौत बीमारी से हुई थी तो पोस्टमार्टम की क्या आवश्यकता थी? बच्चे की मौत पर परिजनों को शक नहीं था। प्रशासन की जानकारी में था कि बच्चे के कोरोना टेस्ट की मांग समाज के दबाब में की गई थी। एक जानकार सूत्र के मुताबिक बच्चे के पोस्टमार्टम का कोई औचित्य नहीं था। परिजन भी यही चाहते थे कि बच्चे के कोरोना टेस्ट कराया जाय ताकि रिपोर्ट के आधार पर वह एहतियात बरतें। टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार अलग मामला है लेकिन मानवीय पहलू की अगर बात करें तो इस प्रकरण में उस बच्चे का जल्द से जल्द अंतिम संस्कार को नजरअंदाज कर दिया गया।
बच्चे के पिता ने उपजिलाधिकारी को जो प्रार्थना पत्र दिया उसमें उपजिलाधिकारी द्वारा काशीपुर कोतवाली को नियमानुसार कार्यवाही को कहा गया था। हालांकि बाद में उपजिलाधिकारी ने बगैर पोस्टमार्टम के बच्चे का शव परिजनों को सौंपने को कहा।
कुल मिलाकर कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में काशीपुर का यह प्रकरण लापरवाही का एक उदाहरण है।