काशीपुर । नगर में नशे और स्मैक के कारोबार पर जल्द ही कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो अभी हो सकती हैं और मौतें। दरअसल काशीपुर में यह कारोबार भयानक स्थिति तक पहुंच चुका है। यह स्थिति तब है जब पुलिस महकमा इसको लेकर तमाम कोशिशें कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद उसके हाथ असफलता ही लग रही है।
कुमाऊं के डीआईजी जगतराम जोशी नशे के बढ़ते कारोबार पर कई बार जनसंवाद में कह चुके हैं कि पुलिस नशे के विरूद्ध कमर कस कर तैयार है। इतनी सारी कवायद के बाद पुलिस की इस कवायद में कमी क्यों है? दरअसल नशे को लेकर जो भी जनसंवाद और बैठकें हुई हैं वह या तो थानों कोतवाली में हुई हैं या फिर किसी सार्वजनिक स्थल पर। और इन बैठकों में चंद चिरपरिचित चेहरे जो कि पुलिस अधिकारियों से मेलजोल बढ़ाने या फिर उनके साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने तक सीमित रहने वाले लोगों के साथ होती है।
काशीपुर में पुलिस को भी पता है कि कौन से क्षेत्र में नशे के कारोबारी रहते हैं? कहाँ नशा बेचा जा रहा है? गाहे-बगाहे कुछ इंजेक्शन के साथ कुछ लोगों को पकड़कर पुलिस नशे के विरूद्ध अपने अभियान पर शाबासी बटोरने तक ही सीमित रह जाती है। नगर में गंगे बाबा रोड काली बस्ती के नाम से जाने जानी वाली श्मशानघाट के समीप मानपुर रोड और सबसे ज्यादा चर्चित गड्ढा कालोनी कचनाल गुसाईं जैसे इलाके इसके मुख्य गढ़ हैं। रामनगर रोड स्थित गड्ढा कालोनी में तो तमाम अच्छे घरों के बच्चे नशे की गिरफ्त में फंस चुके हैं।
समाधान थानों या कोतवाली में बैठकर चंद चेहरों के साथ बैठक करने के स्थान पर नशे के कारोबार वाले क्षेत्रों में अगर पुलिस अधिकारी वहाँ के लोगों के साथ बैठकर संवाद करे तो हो सकता है कि इससे पुलिस को मदद मिले और साथ ही वहाँ के उन स्थानीय निवासियों जिनके बच्चे नशे के कारण बिगड़ रहे हैं, उनका संवाद सीधे पुलिस से हो सके। दरअसल हर व्यक्ति थाने या कोतवाली तक नहीं आ पाता। क्योंकि थानों कोतवाली में अधिकारियों के चारों ओर चंद छपास रोगी नेता टाइप लोगों का जमावड़ा होता है जिनका उद्देश्य नशे के विरूद्ध अभियान से ज्यादा खुद का फोटो पुलिस अधिकारी के साथ अगले दिन अखबारों में छपा हुआ देखना होता है।