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उत्तराखंड :सुभारती मेडिकल कॉलेज पर 3.50 करोड़ की फीस हड़पने और 87.50 करोड़ की पेनल्टी दबाने के आरोप, कल हाई कोर्ट में अहम सुनवाई

@शब्द दूत ब्यूरो (26 नवंबर 2025)

देहरादून। उत्तराखंड में मेडिकल शिक्षा से जुड़ा बड़ा घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। सुभारती मेडिकल कॉलेज (अब गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय नाम से संचालित) पर एमबीबीएस के 300 छात्रों ने 3.50 करोड़ रुपये की फीस लौटाने में हेराफेरी, धोखाधड़ी, फर्जी डिग्री जारी करने और विवादित भूमि पर संस्थान संचालित करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

छात्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन संस्था ने आज तक उनकी 3.50 करोड़ रुपये से अधिक की जमा फीस वापस नहीं की।

राज्य सरकार ने इस संस्थान पर 1 अरब 13 करोड़ रुपये की भारी पेनल्टी लगाई थी। लेकिन हैरानी की बात है कि 87.50 करोड़ रुपये की वसूली 2019 से अब तक नहीं हो सकी।
सरकारी विभागों की इस विफलता पर तीखे सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच जानकारी सामने आई है कि संस्थान गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय के नाम से हर साल करोड़ों की फीस वसूल रहा है, लेकिन शासन–प्रशासन की ओर से किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं की जा रही।

इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान छात्रों द्वारा दायर याचिका पर एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी,राज्य सरकार की 32 सदस्यीय जांच समिति,और संयुक्त निरीक्षण टीम ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि—संस्था के नाम पर राजस्व अभिलेखों में एक इंच जमीन भी दर्ज नहीं है।जिस भूमि पर कॉलेज चलाया जा रहा है, वह पूरी तरह विवादित है।

यह रिपोर्ट डॉ. नवीन थपलियाल समिति ने तैयार की थी, जिसमें वर्तमान निदेशक चिकित्सा शिक्षा भी सदस्य थे।
देहरादून जिलाधिकारी की संयुक्त टीम ने भी इन तथ्यों की पुष्टि की। इन्हीं गंभीर खुलासों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों को तत्काल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में समायोजित करने का आदेश दिया।

कल नैनीताल हाई कोर्ट में निर्णायक सुनवाई होनी है। 2019 से न्याय की लड़ाई लड़ रहे छात्रों की याचिका पर कल नैनीताल हाई कोर्ट में जस्टिस मनोज तिवारी की बेंच में सुनवाई होगी।

छात्रों की मुख्य मांगें हैं कि 3.50 करोड़ रुपये की बकाया फीस तुरंत लौटाई जाए, 87.50 करोड़ सरकारी पेनल्टी की तत्काल वसूली हो, फर्जीवाड़े में शामिल जिम्मेदार व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।

निदेशालय की चुप्पी पर सवाल तो खड़े होते हैं। जब राज्य सरकार की जांच समितियाँ लिखित में बता चुकी हैं कि संस्था के नाम भूमि दर्ज नहीं,कॉलेज विवादित भूमि पर संचालित,सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों को शिफ्ट किया,पेनल्टी तय हो चुकी है—तो फिर कार्रवाई में देरी क्यों?पेनल्टी की वसूली कौन रोक रहा है?निदेशालय किसके दबाव में मौन है?कल होने वाली सुनवाई इस पूरे मामले की दिशा तय कर सकती है।

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