@शब्द दूत ब्यूरो
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र आनंद रावत अपनी राजनैतिक विरासत से इतर पहाड़ की समस्याओं को लेकर मुखर हैं। कभी वह राज्य के युवाओं की सामाजिक सोच को लेकर नजर आते हैं तो कभी नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर अपनी चिंता जाहिर करते हैं।
इन दिनों एक बार फिर वह सुर्खियों में हैं। उत्तराखंड में बाघों और तेंदुओं के हमले में इंसानों की जान जाने को लेकर आनंद रावत ने एक गीत अपनी आवाज में गाया है। आनंद रावत शब्द दूत से एक वार्ता में कहते हैं कि राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए नहीं होती। समाज की समस्याओं और विषमताओं पर भी सोचना एक राजनेता का कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में बाघों और तेंदुओं के बढ़ते हमलों पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
अपनी इसी सोच को लेकर उन्होंने यह ज्वलंत मुद्दा उठाया है। आनंद रावत कहते हैं कि तेंदुओं और बाघों का मानव बस्ती की तरफ़ रुख़ करना चिंतनीय विषय है । पिछले 2 साल में 37 बच्चे और महिलाएँ आदमखोर तेंदुओं का शिकार हो गए ? 2019 में 95 तेन्दुवे मारे गए ? आनंद रावत कहते हैं कि ये समस्या मानव जनित है, और सरकार को प्रकृति द्वारा निर्मित भोजन श्रींखला को फिर से संतुलित करना होगा ?
राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इस समस्या पर जनजागरण करना होगा वरना भविष्य में ये समस्या और विकराल रूप धारण कर लेगा ?

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