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आजाद भारत में सबसे पहली फांसी नाथूराम गोडसे को दी गई, कुल 1414 को दिया जा चुका है ये दंड

शब्द दूत विशेष

नाथूराम गोडसे

आजकल देश में अपराधियों को फांसी दिये जाने की जबर्दस्त मांग की जा रही है। जबकि विश्व के 106 देशों में मृत्यु दंड समाप्तककर दिया गया है। भारत में दुष्कर्म के बाद हत्या में 14 अगस्त 2004 को कोलकाता में 15 वर्षीय छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोप में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी। 

आजादी के  बाद अब तक भारत में राष्ट्रीय लॉ विश्वविद्यालय के मुताबिक 1414 अपराधियों को फांसी की सजा दी गई। वहीं आजादी के बाद पहली फांसी नाथूराम गोडसे और 57वीं फांसी 2015 में मुंबई धमाकों में याकूब मेमन को हुई। 2018 में अलग-अलग अदालतों ने 162 लोगों को सुनाया था मृत्युदंड, पर फांसी किसी को नहीं हुई।

फांसी देने के लिए चर्चित जल्लाद नाटा मलिक निवासी कोलकाता का था। जिसने 2009 में निधन से पहले  25 अपराधियों को फांसी के फंदे पर लटकाया था, आखिरी फांसी धनंजय चटर्जी को दी थी। 

एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, 2018 तक 106 देशों ने मृत्युदंड खत्म किया। वहीं 2018 में 54 देशों में 2531 लोगों को अलग-अलग अपराधों में मृत्युदंड दिया गया।

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