Breaking News

महाराष्ट्र में जीतकर भी क्यों हार गई भाजपा

ऐसा शायद किसी से नहीं सोचा होगा कि महाराष्ट्र में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने वाली बीजेपी सरकार बनाने से चूक जाएगी। लेकिन बीजेपी को उसके अहंकार की कीमत चुकानी पड़ी है। जिस तरह से बीजेपी दूसरी राजनीतिक पार्टियों, अपने सहयोगियों और विपक्षियों के साथ पेश आती है, उस हालत में उन्हें गठबंधन सरकार बनाने में परेशानी पेश आनी ही थी।

बीजेपी ने शिवसेना के सामने अपना घमंड दिखाना जारी रखा तो वहीं पूरे चुनावी प्रचार के दौरान बेवजह के मुद्दों पर भी एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर निशाना साधते रहे।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी को बीजेपी के सामने छोटा साबित नहीं करना चाहते। वो नहीं चाहते कि बीजेपी उनकी पार्टी को पूरी तरह निगल जाए। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक नाटक के सूत्रधार के तौर पर शरद पवार उभरे। वो अपने गढ़ को और अधिक मज़बूत बनाते हुए विपक्षी दलों पर लगातार निशाना साध रहे हैं।

दरअसल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस का झुकाव उद्धव ठाकरे और पवार दोनों की ही तरफ था लेकिन पार्टी के अहंकारी स्वभाव के चलते वो किसी को भी साध पाने में कामयाब नहीं हुए। चुनावी प्रचार के दौरान फड़णवीस ने खुद से बहुत वरिष्ठ नेता शरद पवार का कई बार मज़ाक बनाया। यहां तक कि उन्होंने तो एनसीपी प्रमुख का राजनीतिक अंत तक बता दिया था. वहीं उन्होंने उद्धव ठाकरे को हल्के में लेने की भूल भी की।

लेकिन महाराष्ट्र में सिर्फ़ फड़णवीस ने ही ग़लती नहीं की। बीजेपी के कई प्रमुख नेताओं की ग़लतियों की वजह से शिवसेना उनसे दूर होती चली गई। इसमें राज्य और केंद्र दोनों के ही नेता शामिल हैं।

नरेंद्र मोदी ने कई बार उद्धव ठाकरे को अपने छोटे भाई के तौर पर पुकारा है। लेकिन बीजेपी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर देखने को मिला। बीजेपी शिवसेना को खुद से नीचे ही आंकती रही और ज़मीनी धरातल पर खाली हुई जगह को खुद भरने की कोशिश करती रही।

इस बार बीजेपी शिवसेना को गठबंधन में बनाए रखने के लिए कुछ भारी-भरकम मंत्रालय देना चाहती थी लेकिन उद्धव ठाकरे चाहते थे कि उनके पास वो पद रहे जिससे वो जनता से सीधा संपर्क बनाने में कामयाब हो सकें। बीजेपी शिवसेना को आधे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद देने के लिए बिलकुल तैयार नहीं हुई।

बीजेपी यह परखने में पूरी तरह नाकाम रही कि शिवसेना और उद्धव ठाकरे ने पिछले कई सालों से ज़मीनी स्तर पर काम किया है और यही वजह है कि वो मुख्यमंत्री पद से कम पर तैयार नहीं हो रहे। शिवसेना ने महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दों पर भी ज़ोर दिया।

इन सबके बीच शरद पवार ने चुप्पी साधकर अपना पक्ष मजबूत बनाए रखा। उन्होंने लगातार यही कहा कि जनता ने उन्हें और कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है। पवार ने इस बात का खुलासा नहीं होने दिया कि वो कितनी बार शिवसेना से मिल रहे हैं और उनके नेताओं को सरकार गठन के लिए तैयार भी कर रहे हैं।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

कांग्रेस सासंद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर नोटों की गड्डियां मिली, सभापति जगदीप धनखड़ ने दी जानकारी, राज्यसभा में हंगामा, मामले की जांच के आदेश

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (06 दिसंबर 2024) नयी दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-