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झारखंड चुनाव तिथियां कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाती हैं

                                                                    इन्द्रेश मैखुरी

इन्द्रेश मैखुरी

हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। महाराष्ट्र में विधानसभा में 289 सीटें हैं, जिनमें से 288 पर प्रत्यक्ष चुनाव होता है। इन दोनों ही राज्य में हाल ही में चुनाव हुए और एक ही चरण में चुनाव हुए। इन दोनों ही राज्यों से अपेक्षाकृत छोटा राज्य है झारखंड,जहां विधानसभा की 81 सीटें हैं। 
वहां चुनाव आयोग ने 5 चरणों में चुनाव का ऐलान किया है :
पहला चरण -30 नवंबर
दूसरा चरण -7 दिसंबर
तीसरा चरण -12 दिसंबर
चौथा चरण-16 दिसंबर
पांचवा चरण- 20 दिसंबर
मतगणना की तिथि 23 दिसंबर तय की गई है। 
एक छोटे से राज्य में पांच चरणों में चुनाव के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि झारखंड की 67 सीटें माओवाद प्रभावित और 13 सीट अति माओवाद प्रभावित है। झारखंड राज्य गठन के 19 सालों में से 14 साल वहां भाजपा की सरकार रही है।

भाजपा तो देश भर में सख्त कानून व्यवस्था का दावा करती है। नोटबन्दी के समय भी आतंकवाद और माओवाद की कमर तोड़ने का दावा किया गया था। तो जिस माओवाद की कमर 3 साल पहले 8 नवंबर 2016 को नोटबन्दी के जरिये तोड़ दी गई थी,वह टूटी कमर के बावजूद इतना ताकतवर है कि उसके डर से एक छोटे से राज्य में 5 चरण में चुनाव कराना पड़ रहा है?
या यह हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में भाजपा को बहुमत न मिलने से जो सत्ता छिनने का “आतंक” एक बारगी उत्पन्न हुआ,उसका शमन करने का रास्ता केंद्रीय चुनाव आयोग ने निकाला है !
वजह जो भी हो पर इस मामले ने यह तो आधिकारिक तौर पर सिद्ध कर ही दिया कि भाजपा के शासन में झारखंड में माओवाद की कमर का तो पता नहीं परंतु कानून व्यवस्था की कमर पूरी तरह टूटी हुई है। केंद्रीय चुनाव आयोग के केंद्रीय सत्ता के सामने के.चु.आ. हो कर रेंगने का यह एक और उदाहरण है।

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