Breaking News

लीजिये हाजिर हैं नए चुनावी मुद्दे@राकेश अचल

राकेश अचल,
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक

अधजल गगरी छलक ही जाती है। भाजपा के सर पर रखी सत्ता की गगरी छलक गयी है,उसमें से आगामी चुनावों के लिए जो मुद्दे छलक कर जमीन पर गिरे हैं उन्हें देखकर आपको निराशा होगी । भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में अपनी चतुरंग सेना लेकर उतरने को आतुर आईएनडीआई ऐ की गगरी के छलकने का इन्तजार है। प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के बीना में खुद अपनी पार्टी के नए चुनावी मुद्दों की बीन बजाई । उन्होंने जी-20 की सफलता और सनातन धर्म पर मंडराते कथित खतरों को लेकर जन-संसद में हाजिर होने के संकेत दे दिए हैं। दुनिया मोदी जी को मदारी,जादूगर समझे बैठी थी लेकिन वे सनातन सपेरे निकले।

पूरे एक दशक देश की बागडोर सम्हालने वाली भाजपा के पास जनता के सामने परोसने के लिए उपलब्धियों के नाम पर जब कुछ नहीं बचा तब ऐसे मुद्दों के जरिये जंग जीतने की कोशिश की जा रही है जो दरअसल मुद्द्दे हैं ही नहीं। जो असली मुद्दे थे उन्हें या तो ताक पर रख दिया गया ,या फिर उनके ऊपर धूल डाल दी गयी ,क्योंकि न तो जी-20 की कथित कामयाबी कोई मुद्दा है और न सनातन पर कोई खतरा है। असली बात है आईएनडीआईए की मौजूदगी ,जो भाजपा को भयभीत किये हुए है।किसी राज्य के एक अदने से मंत्री के सनातन विरोधी बयान को पूरे विपक्ष के माथे पर ठीकरा बनाकर फोड़ने की भाजपा की मजबूरी देखकर हँसी आती है। पता नहीं कैसे भाजपा जी-20 की एक बैठक से जनता का माथा ऊंचा और सीना चौड़ा करना चाहती है ?

देश में जैसे-जैसे पांच विधानसभाओं के साथ ही आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं,वैसे-वैसे भाजपा की धड़कने तेज हो रहीं है। हांथों के तोते उड़ते दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि भाजपा ने अपना पूरा समय सत्ता पर काबिज रहने के लिए बिसातें बिछाने में खर्च कर दिया। बीते एक दशक में भाजपा ने अपनी चाल,चरित्र और चेहरे में बदलाव की जो भी कोशिशें की वे ‘ उलटे बांस बरेली ‘जैसी साबित हुई। भाजपा पर्याप्त बहुमत के बावजूद ऐसा कुछ हासिल नहीं कर पायी कि जिस बिना पर देश की जनता उसे बिना रोये-गिड़गिड़ाए हंसी-ख़ुशी अपना समर्थन दे दे। ये सभी सत्तारूढ़ दलों के साथ होता है ,उनमें चाहे श्री नरेंद्र मोदी जैसा चमत्कारी नेता हो या न हो। कांग्रेस की एक दशक पुरानी सत्ता भी 2014 में ऐसी ही आत्ममुग्धताओं और लापरवाही की वजह से गयी थी।

भाजपा की एक दशक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में खुद भाजपा को समाप्त करना शामिल है । कांग्रेस में चाहे इंदिरा गाँधी की सरकार हो चाहे राजीव गांधी की सरकार कम से कम एक ही कद के तमाम नेता हुआ करते थे,जो एक-दूसरे को टोक सकते थे,रोक सकते थे,आँखें दिखा सकते थे।

माननीय अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में भी कमोवेश ऐसी ही स्थितियां थीं लेकिन आज की सरकार में नरेंद्र मोदी के कन्धों तक पहुँचने वाला कोई नेता बचा ही नहीं है। वे अपने ‘ कटआउट ‘आकार के सामने किसी भी दूसरे नेता की मौजूदगी बर्दाश्त कर ही नहीं पाए । यहां तक की मोदी जी के हनुमान गृहमंत्री श्री अमित शाह की परछाईं भी जी-20 के दौरान किसी को नजर नहीं आयी। एक विदेश मंत्री जयशंकर और वित्त मंत्री सीता माता को अवश्य मोदी जी की कुर्सी के पीछे तालियां बजाते हुए जरूर देश और दुनिया ने देखा। मोदी जी को अपने दल के ही नहीं विपक्ष के भी कद-काठी के नेता पसंद और बर्दाश्त नहीं है। इसीलिए विदेशी मेहमानों के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित भोज में मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया।
बात मुद्दों की की जाये तो तमिलनाडु के एक युवा मंत्री के सनातन विरोधी बयान को पूरे विपक्ष का बयान बताने में लगी सकल भाजपा दरअसल धर्म ध्वजाधारक राजनीतिक दल बनी रहना चाहती है ।

भाजपा शायद नहीं जानती कि उदयनिधि उस खेत की मूली भी नहीं हैं जिस खेत से दो दशकों तक अंग्रेजी सत्ता की फसल होती रही। उदयनिधि उस खेत की खरपतवार भी नहीं है जिस खेत से देश में चार-पांच सौ साल तक मुगलों ने सत्ता की अरहर उगाई। इन दोनों के रहते जब देश का सनातन धर्म खतरे में नहीं पड़ा तो एक अदने से उदयनिधि के बयान से हमारे सनातन धर्म को क्या खतरा हो सकता है ? सनातन धर्म कोई छुईमुई नहीं जो किसी के एक बयान से मुरझा जाये। उदयनिधि को तो हमारे देश की बाबा मंडली ही फूंक में उड़ा सकती है ,उसके लिए भाजपा क्यों हलकान है ? फिर भाजपा को सनातन धर्म की रक्षा का ठेका किसने दिया है ? सनातनी खुद ये काम बाखूबी कर सकते हैं। लेकिन मजबूरी का नाम भाजपा होता है । भाजपा मंदिर-मस्जिद और धर्म से बाहर आकर खेल ही नहीं सकती।
मुझे भाजपा बहुत अच्छी पार्टी लगती है क्योंकि उसके पास एक सुगठित संगठन है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसी एक मात्र संस्था है। विपक्ष के पास ऐसा कुछ नहीं है । विपक्ष की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी कांग्रेस अपना संगठन और मात्र संस्थाओं को कब का होम कर चुकी है। फिर भी भाजपा में घबड़ाहट है ,उसे जनता के असनतोष की आहट साफ़ सुनाई दे रही है । आप कभी मध्यप्रदेश आकर देखिये ,वहां विधानसभा चुनाव से पहले संघ खुद रूप बदलकर भाजपा को बचने के लिए चुनाव मैदान में है । संघ ने अपने ही कुछ प्रचारकों को कथित बागी बनाकर एक राजनीतिक दल का गठन करा दिया है जो भाजपा विरोधी वोटों को विपक्ष के पास जाने से रोकने की कवायद करेगा। मध्यप्रदेश में भाजपा की दो इंजन वाली सरकार है लेकिन उसे भी चुनाव मैदान में उतरते ही भावनात्मक खेल खेलना पड़ रहा है । भाजपा राखियां बंधवाकर महिलाओं को प्रति माह एक हजार रूपये की खैरात बांटने पर विवश है।

भाजपा के लिए मध्यप्रदेश ही जंग का पहला मोर्चा है । पिछले कुछ वर्षों में भाजपा अनेक मोर्चों पर मुंह की खाती आ रही है । माननीय मोदी जी की बाहुबली और अद्भुद सरकार की तमाम ऐतिहासिक उपलब्धियों के बावजू न पंजाब ने उन्हें टिकने दिया न हिमाचल ने । बंगाल के बाद कर्नाटक ने भी माननीय मोदी जी को खारिज कर दिया । राजस्थान,छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश पहले ही 2018 में मोदी जी को खारिज कर चुके थे । भाजपा ने जैसे-तैसे विभीषणों के सहारे भाजपा में सत्ता हासिल कर ली लेकिन तीन साल बाद भी प्रदेश में भाजपा की सत्ता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसीलिए माननीय मोदी जी ने मध्यप्रदेश के बीना शहर में अपना पिटारा सबसे पहले खोला और उसमें से कथित रूप से खतरे में पड़ा सनातन धर्म और हजारों करोड़ के खर्चे से समपन्न जी 20 की बैठक की कामयाबी का गुब्बारा निकला। हालाँकि पिटारों से सरी-सर्प ही निकलते हैं लेकिन मै मोदी जी के मुद्दों को सरी-सर्प नहीं कह सकता। ऐसा कहना गलत होगा,क्योंकि मुद्दे तो मुद्दे होते हैं ,फिर चाहे वे सरी-सर्प हों या न हों।
भाजपा से पहले देश में कांग्रेस के पास भी कई बार मुद्दों का अभाव होता रहा लेकिन कांग्रेस के पांच दशक के राज में न धर्म संकट में आया और न किसी बैठक को कामयाबी के तौर पर चुनावों में इस्तेमाल किया गया। कांग्रेस ने 1971 में पाकिस्तान के टुकड़े जरूर किये ,धर्म के नहीं और उसका फायदा भी कांग्रेस को मिला । भाजपा ने भी कांग्रेस से प्रेरणा लेकर 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक की और उसका लाभ भी उठाया ,लेकिन अब सारे कारतूस चलाये जा चुके हैं। भाजपा सरकार पिछले एक दशक में न पाकिस्तान का कुछ बिगाड़ पायी और न चीन का। भाजपा के भारत के अपने तमाम पड़ौसियों से रिश्ते प्रगाढ़ होने के बजाय और बिगड़ गए। यहां तक की जी -20 समूह के सदस्य चीन से भी अब भारत की अदावत है जबकि चीन से ही भाजपा का भारत सबसे ज्यादा आयात करता है। ये वो ही चीन है जो आज भी लद्दाख में भारत की सैकड़ों किमी लम्बी जमीन पर काबिज है । लेकिन ये कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। मुद्दा तो सनातन धर्म को खतरे में डालने वाला उदयनिधि जैसे पिद्दी नेता का बयान है। खुद महाबली प्रधानमंत्री को अपनी प्रत्यंचा पर उदयनिधि के बयान की काट का बाण चढ़ाना पड़ा है।

देश आगे बढ़ रहा है या पीछे जा रहा है इसे लेकर अब भ्रम की स्थिति है । देश में 80 करोड़ लोगों को दो वक्त का भोजन न मिलना मुद्दा है या जी-20 को वो बैठक जिसकी कामयाबी या विफलता से भारत के आम आदमी का कोई लेना-देना नहीं है । ऐसी बैठकें हजारों करोड़ रूपये खर्च करने के बजाय एक पांच सितारा होटल में आसानी से हो सकतीं थी । हुईं भी है। भारत से पहले इंडोनेशिया में भी हुई । वहां की सरकार ने तो बैठक की कामयाबी को वोटों में बदलने की कोई कोशिश नहीं की। उससे पहले जिन देशों में जी-20 की बैठकें हुईं वहां न सोने-चांदी के बर्तनों की जरूरत पड़ी और न किसी शहर को बेचिराग करने की जरूरत महसूस की गयी।वहां के किसी प्रधानमंत्री ने अपनी जनता से नहीं पूछा कि -माथा ऊंचा हुआ या नहीं ? सीना चौड़ा हुआ या नहीं ?

सत्तारूढ़ भाजपा के पिटारे में सरी-सर्पों के अलावा क्या और बाकी है वो भी गणेश चतुर्थी के दिन होने वाले संसद के विशेष अधिवेशन में सामने आ जाएगा। अभी तो जो सामने आया है उसे देखकर लगता है कि संसद के विशेष सत्र की कोई जरूरत थी ही नही। जिन विधेयकों को पारित करने के लिए संसद का बिना प्रश्नकाल वाला सत्र बुलाया गया है उन सभी को संसद के पिछले सत्र में ही ध्वनिमत से पारित कराया जा सकता था। ये सत्र सिर्फ तमाशे के लिए बुलाया गया लगता है । इस सत्र में हंगामे होंगे,चीखें सुनाई देंगी । अट्टहास किये जायेंगे। उपलब्धियों के ढोल बजाए जायेंगे और इस सत्र के समापन के साथ ही देश में चुनावी बिगुल बजेगा,रणभेरियों की आवाजें सुनाई देंगी ।
achalrakesh1959@gmail.com
@ राकेश अचल

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

नफरत के पिंडदान का सही समय@वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की कलम से

🔊 Listen to this गणाधिपति का विसर्जन हो रहा है। उनके एक पखवाड़े के प्रवास …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-