
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक
आजकल सियासत पर बात करो तो मिर्ची और खुजली अपना असर दिखाने लगती है। इसलिए मेरी कोशिश होती है कि अब सियासत पर कम से कम बात करूँ ,लेकिन विवशता ये है कि इस देश में हर चीज पर सियासत का मुलम्मा चढ़ा हुआ है। मै आज न राहुल गांधी की बात कर रहा हूँ और न माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की। न इंडिया की और न घमंडिया की । एनडीए की तो बिलकुल नहीं। इन सब पर बात करने का कोई नतीजा निकल नहीं रहा। इसलिए मै नौन,तेल लकड़ी की बात करना चाहता हूँ।
हमारा चंद्रयान लगातार कामयाब होता दिखाई दे रहा है और साथ ही महंगाई भी । दोनों अपनी-अपनी परिक्रमा कामयाबी के साथ पूरी कर रहे हैं । दोनों का श्रेय हमारी स्थिरऔर सबको साथ लेकर ,सबका विकास करने वाली संप्रभु सरकार को जाता है। वरना कांग्रेस और दूसरे दलों में इतनी कूबत कहाँ जो चंद्रयान और मंहगाई को आसमान छूने की ताकत दे पाते। चंद्रयान और मंहगाई में परस्पर कोई रिश्ता हो या न हो लेकिन दोनों हैं हमारी ही सरकार की उपलब्धियां । सरकार की उपलब्धियों की हर राष्ट्रवादी को तारीफ़ करना चाहिए। मै कर रहा हूँ,आप भी कीजिये तो देश मजबूत होगा।
एक हकीकत ये है कि हाल के महीनों में किचन का बजट पूरी तरह बिगड़ चुका है। सरकारी आंकड़ों को छोड़ भी दिया जाये तो भी , एक साल में दाल, चावल और आटा 30 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। सरकार की प्रगतिशील नीतियों कि चलते इस बीच देश के कुछ हिस्सों में टमाटर 250 रुपए प्रति किलो से ऊपर निकल गया है । हमारे अपने पिछड़े शहर में भी टमाटर 200 रूपये किलो मिला । हालांकि, आलू के भाव कुछ घटे हैं। खबर ये आ रही है कि अब टमाटर का स्थान प्याज लेने वाला है यानि अगले महीने जब हम और आप आजादी की वर्षगांठ मना रहे होंगे तब प्याज देश को रुलाने कि लिए हाजिर हो चुकी होगी।
हमारी सरकार संसद में कम बोलती है लेकिन जो बोलती है वो सच बोलती है । संसद में एक सवाल के जवाब में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि आलू को छोड़कर ज्यादातर खाने की चीजें महंगी हुई हैं। अरहर-मूंग दाल, चावल, चीनी, दूध, मूंगफली तेल और आटा इनमें शामिल है। सरकार की उपलब्धि है कि बीते एक साल में आलू 12 फीसदी सस्ता हुआ, लेकिन प्याज ने देशद्रोह किया और प्याज 5 महंगी हो गई।मै चूंकि हर महीने घर कि लिए राशन खुद खरीदने जाता हूँ इसलिए अधिकारपूर्वक कह सकता हूँ कि रसोईघर का बजट बिगाड़ने में टमाटर के बाद सबसे बड़ी भूमिका अरहर दाल की है। 31 जुलाई तक 1 साल में यह 30 महंगी हो गई है।अब आप ही बताइये कि कोई दाल-रोटी कैसे खाये ? प्रभु कि गुण कैसे गाये ? जबकि हम भारतीयों के जीवन का मूलमंत्र ही है कि ‘ दाल-रोटी खाओ,प्रभु कि गुन गाओ ‘।
हमें नहीं पता कि टमाटर और दाल कि भाव कौन और क्यों बढ़ाता है ? किन्तु सरकार कहती है तो मानना पड़ता है कि अरहर दाल के भाव बढ़ने की मुख्य वजह घरेलू उत्पादन घटना है। सरकारी आंकड़ों कि मुताबिक़ पिछले साल 42.2 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ था। इस साल यह घटकर 34.3 लाख टन रहने का अनुमान है। इसके पीछे मुमकिन है कि कांग्रेस या विपक्षी दलों की कोई साजिश हो ! कोई विदेशी हाथ हो ? लेकिन गनीमत है की सरकार ने अब तक ऐसा कुछ नहीं कहा। सरकार कहती है कि टमाटर उत्पादक कई इलाकों में सफेद मक्खी का प्रकोप और बारिश से फसल कम उतरी और सप्लाई भी बाधित हुई,इसलिए टमाटर कि दाम बढ़ गए।
मुश्किल ये है कि एक सरकार बेचारी कहाँ-कहाँ हथेली लगाए ? एक तरफ मणिपुर जल रहा है और दूसरी तरफ हरियाणा में महाभारत शुरू हो गयी। सरकार ने मणिपुर में तो बुलडोजर संहिता लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाई, लेकिन हरियाणा में बुलडोजर चलवा कर ही दम लिया। सरकार या तो गोली चलवा सकती है ,या बुलडोजर। कानून और व्यवस्था बनाये रखने कि लिए और भला क्या किया जा सकता है ? तीसरा हथियार मौन रहने का है। सरकार उसका भी लगातार इस्तेमाल करती आ रही है । पूरा का पूरा विपक्ष सिर कि बल खड़ा हो गया लेकिन सरकार को मणिपुर और हरियाणा की हिंसा पर नहीं बोलना था तो नहीं बोली।
बहरहाल हम बात कर रहे थे मंहगाई पर और भटक कर पहुँच गए मणिपुर और हरियाणा कि नूंह। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। मणिपुर पर अब दो हफ्ते कि संसदीय हंगामे कि बाद मुमकिन है की कल 8 अगस्त को मुबाहिसा शुरू हो। हो तो ठीक और न हो तो भी ठीक। हमें पता है कि कुछ हासिल होने वाला नहीं है। न देश को और न विपक्ष को। विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा होना होगा ,क्योंकि यही ‘ सत्ताकुल ‘ की रीति है ,नीति है। हाँ तो महंगाई की वजह से टमाटर और दाल ही नहीं जीरा भी छलांगे मार रहा है । कुलांचें भर रहा है। वो ही जीरा जो ऊँट कि मुंह में जाए तो कहावत बन जाये और गरीब की रसोई में हो तो छौंक-बघार कि काम आये। जैसे जंगल में शेर राजा होता है, फलों में आम राजा होता है वैसे ही रसोईघर कि मसालों में जीरा राजा होता है। मसालों के राजा जीरा के दाम में सबसे ज्यादा 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। तीन महीने पहले 100 ग्राम जीरा जहां 45 रुपए का था, अब 90 रुपए तक पहुंच गया है। अब लगाकर दिखाई छौंक ?
संसद चल रही है इसलिए मंहगाई और दीगर मुद्दों पर संसद कि बाहर बात नहीं करना चाहिये । ये विशेषाधिकार केवल हमारे प्रधानमंत्री जी का है। वे संसद कि चलते संसद कि बाहर मणिपुर पर क्षणिका बयान दे सकते हैं। 36 सेकेण्ड का बयान ।ये दुनिया का सबसे छोटा बयान है। आम आदमी को ये अधिकार नहीं है । उसे तो मौन रहने कि लिए कहा गया है। किन्तु मै कहता हूँ कि अब जनता को मौन सिंह नहीं रहना चाहिये । उसे बोलना चाहिये । अपना मुंह खोलना चाहिए। अन्यथा उसके मुंह से उसका निवाला कब छिन जाए कोई नहीं जानता ? गूंगी जनता की रक्षा संविधान क्या भगवान भी नहीं करता। इसलिए हे जनता जनार्दन बोलो ! अपना मुंह खोलो !! वाचाल नेताओं का मुकाबला वाचाल जनता ही कर सकती है।
@ राकेश अचल
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