Breaking News

एक्सक्लूसिव : क्या धारा 370 हटाने को लेकर गुमराह किया गया है?

 वेद भदोला की खास रपट 

 नई दिल्ली। जिस 370 धारा के समाप्त होने को लेकर शोर मचाया जा रहा है। वह हमारे संविधान में अभी भी एक अनुच्छेद है।देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति ने इस संबंध में जो आदेश जारी किया है। उसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद धारा 370 के खंड एक के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश पारित कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि धारा 370 समाप्त होने की खबरें गलत हैं। अलबत्ता संशोधन किया है। समाप्त और संशोधन में फर्क है। आपके लिए देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया गया आदेश यहाँ हूबहू प्रकाशित किया जा रहा है। 

सा.का. नि.551 (अ) – राष्ट्रपति द्वारा किया निम्नलिखित आदेश सर्वसाधारण की सूचनार्थ प्रकाशित किया जाता है :-

संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) आदेश, 2019

सी.ओ 272

संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति, जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार की सहमति से निम्नलिखित आदेश करते हैं:-

1. (1) इस आदेश का नाम संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए लागू) आदेश, 2019 है।

(2) यह तुरंत प्रवृत्त होगा और इसके बाद यह समय-समय पर यथा संशोधित संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 1954 का अधिक्रमण करेगा।

2. समय-समय पर यथा संशोधित संविधान के सभी उपबंध जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होंगे और जिन अपवादों और आशोधनों के अधीन ये लागू होंगे वे निम्न प्रकार होंगे :-

अनुच्छेद 367 में निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात :-

(4) संविधान, जहां तक यह जम्मू और कश्मीर के संबंध में लागू है, के प्रायोजनों के लिए –

(क) इस संविधान या इसके उपबंधों के निर्देशों को, उक्त राज्य के संबंध में यथा लागू संविधान और उसके उपबंधों का निर्देश माना जाएगा ;

(ख) जिस व्यक्ति को राज्य की विधान सभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा जम्मू और कश्मीर के सदर-ए-रियासत, जो तत्स्थानिक रूप से पदासीन राज्य की मंत्रि परिषद की सलाह पर कार्य कर रहे हैं, के रूप में तत्स्थानिक रूप से मान्यता दी गई है, उनके लिए निर्देशों की जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के लिए निर्देश माना जाएगा।

(ग) उक्त राज्य को सरकार के निर्देशों को, उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम कर रहे जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के लिए निर्देशों को शामिल करता हुआ माना जाएगा ; तथा

(घ) इस संविधान के अनुच्छेद 370 के परंतुक में “खंड (2) में उल्लिखित राज्य की संविधान सभा” अभिव्यक्ति को “राज्य की विधानसभा” पढ़ा जाएगा।

रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति।

देश के राष्ट्रपति का यह आदेश इस बात का प्रमाण है कि धारा 370 आज भी कायम है। अगर धारा समाप्त हो गयी तो उस धारा के तहत आदेश के कोई मायने नहीं रह जाते। दरअसल इस धारा को समाप्त करने में कई पेचीदगियां हैं। 

जिन्हें समझना होगा। वास्तव में इस धारा में क्या प्रावधान है यह देखिए। 

संविधान के आर्टिकल 370 (3) के मुताबिक, 370 को बदलने के लिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की परमिशन जरूरी है. राज्य की संविधान सभा को साल 1956 में भंग कर दिया गया था. इसके ज्यादातर सदस्य भी अब जिंदा नही हैं। इसके अलावा संविधान सभा के भंग होने से पहले सेक्शन 370 के बारे में स्थिति भी साफ नहीं की गई थी. इसलिए ये स्पष्ट नहीं है कि जम्मू-कश्मीर आर्टिकल 370 स्थायी होगा या इसे बाद में खत्म किया जा सकता है। संविधान के जानकारों का कहना है कि सरकार आर्टिकल 370 पर कोई बदलाव जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सहमति से ही ले सकती है, चूंकि संविधान सभा भंग कर दी गई है।  ऐसे में राज्य में चुनी हुई सरकार के अधिकार गवर्नर के पास होते हैं, लेकिन गवर्नर की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने ये प्रावधान खत्म किया है।संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप भी यही कहते हैं कि धारा 370 हटायी या समाप्त नहीं की गई है बल्कि उसमें संशोधन हुआ है। 

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

उत्तराखंड :यूसीसी पंजीकरण का निवास प्रमाणपत्र से संबंध नहीं, दस्तावेजों की जांच का अधिकार सिर्फ रजिस्ट्रार के पास:प्रो सुरेखा डंगवाल

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (06 फरवरी 2025) देहरादून। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-