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उत्तराखंड में कांग्रेस प्रत्याशियों को राजस्थान या छत्तीसगढ़ भेजने की अटकलें

@शब्द दूत ब्यूरो (05मार्च, 2022)

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का नतीजा आने से पहले भाजपा और कांग्रेसी दिग्गज भले ही अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हों, लेकिन सच्चाई यही है कि ज्यादातर सीटों पर कांटे का मुकाबला होने की वजह से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को आशंका है कि सियासी ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।

इस बीच सियासी हलकों मैं खबर हैं कि कांग्रेस अपने जिताऊ प्रत्याशियों को राजस्थान या छत्तीसगढ़ भेज सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा वायरल किया गया पोस्टल बैलेट वाला वीडियो हो या कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोसियाल का कार्यकर्ताओं से ईवीएम मशीनों की निगरानी करने का आग्रह, ये दर्शाता है कि पार्टी को भाजपा की नीयत में खोट नजर आ रहा है।

हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ऐसी किसी भी संभावना से साफ इनकार कर रहे हैं। गोदियाल कहते हैं कि उन्हें कोई डर नहीं है, लेकिन भाजपा येन केन प्रकरण सत्ता प्राप्त करना चाहती है। उत्तराखंड में कांग्रेस दूध की जली है, इसलिए छांछ भी फूंक-फूंक कर पीना चाहती है।

यहां उत्तराखंड के 2012 विधानसभा चुनाव का जिक्र करना प्रासंगिक होगा जब कांग्रेस 32 और भाजपा 31 सीटों पर सिमट गई थी। उसके बाद सरकार बनाने की जो जद्दोजहद हुई उसे सबने देखा।आगामी 10 मार्च को ईवीएम के पिटारे से नतीजों की कुछ ऐसी ही तस्वीर बनीं तो सरकार बनाने के लिए दोनों पार्टियां पूरा जोर लगाएंगी। कांग्रेस चुनाव बाद ही भाजपा पर गड़बड़ी करने की मंशा जता चुकी है।

सियासी हलकों में यदि ये कयासबाजियां तेजी से हो रही हैं कि उसने अपने जिताऊ प्रत्याशियों को कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान व छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी कर ली है तो इसे कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। स्वयं गोदियाल कह रहे हैं कि 2016 में भाजपा ने जो किया, वह बताता है कि वह हर हाल में सत्ता प्राप्त करना चाहती है। वह कर्नाटक, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा के लिए सत्ता के आगे कोई नैतिकता नहीं है।

बाहर से कांग्रेसी दिग्गज चाहे 40 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रहे हों, लेकिन धरातल से जो फीडबैक प्राप्त हो रहा है, उसमें वह अधिकांश सीटों पर कांग्रेस बेहद कड़े मुकाबले में फंसी है। सियासी जानकारों का मानना है कि हालात 2012 वाले हो जाएं तो कोई अचरज वाली बात नहीं होगी। अगर 10 मार्च को ईवीएम के पिटारे से नतीजों की कुछ ऐसी ही तस्वीर बनी तो इस बार भाजपा सरकार बनाने का दांव चलने से बिल्कुल नहीं चूकेगी।

कांग्रेसी हलकों में चर्चा गर्म है कि पार्टी आलाकमान चुनाव परिणाम से पहले और उसके बाद की स्थितियों के आधार पर अपनी रणनीति बना रहा है। पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता प्राप्ति के लिए पूरी ताकत लगा रही है। जोड़ तोड़ और तोड़ फोड़ की राजनीति से बचाव के लिए कांग्रेस ऐसा कवच तैयार करने की सोच रही है कि जिसे भेदना भाजपा के लिए दुष्कर हो जाए। इसमें प्रत्याशियों और जीत के बाद विधायकों को अज्ञात ठिकानों पर भेजने का विकल्प भी शामिल है।

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