@शब्द दूत ब्यूरो (03 मार्च, 2022)
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद अब सबकी नजर 10 मार्च को आने वाले चुनाव नतीजों पर है। भाजपा जहां एक बार भाजपा-एक बार कांग्रेस के मिथक तोड़ते हुए सत्ता वापसी का ख्वाब संजोए हुए है, वहीं कांग्रेस को भी पूरी उम्मीद है कि सत्ता परिवर्तन के बाद इस बार कमान उसके हाथ में आने वाली है। पार्टी को इस चुनाव में तीन चुनौतियों से पार पाना है। पहली उसे अपने संख्या बल को 11 से बढ़ाकर 36 के जादुई आंकड़े को पाना है।
दूसरी चुनौती अपने गढ़ों को बचाने की है। वहीं, तीसरी चुनौती भाजपा के गढ़ों में सेंध लगानी है। 10 मार्च को चुनाव परिणाम के साथ ही स्पष्ट हो जाएगा कि राज्य की सत्ता पर कौन काबिज होने जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि वह 11 विधायकों पर सिमटी पार्टी को बहुमत के आंकड़े के पार ले जाएगी।
दूसरी चुनौती के रूप में पार्टी अपने गढ़ों को बचाए रखना चाहती है। जागेश्वर से गोविंद सिंह कुंजवाल और चकराता से प्रीतम सिंह दोनों दिग्गज राज्य में हुए पहले विधानसभा चुनाव से इन सीटों पर जीतते रहे हैं। पार्टी को इस बार भी उम्मीद है कि उसके यह दोनों गढ़ इस बार भी सुरक्षित रहेंगे। कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां पार्टी दो से तीन बार जीती है। इनमें हल्द्वानी, भगवानपुर, पिरान कलियर, गंगोलीहाट और धारचुला सीटें शामिल हैं।
कांग्रेस इन सीटों पर पुराना प्रदर्शन दोहराना चाहेगी। 10 से अधिक विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर पार्टी आज तक अपना खाता नहीं खोल पाई है। इस बार पार्टी के लिए भाजपा और दूसरे दलों के इन गढ़ों में सेंध लगाने को मौका है। इनमें देहरादून कैंट, हरिद्वार, बीएचईएल रानीपुर, ज्वालापुर, झबरेड़ा, हरिद्वार ग्रामीण, चौबट्टाखाल, गदरपुर और किच्छा सीट शामिल है। इन सीटों पर पार्टी का कोई विधायक जीतकर आता है तो यह भी पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।