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स्वतंत्रता दिवस पर फहराने जा रहे हैं तिरंगा, तो पहले जान लें ये नियम

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (14 अगस्त, 2021)

15 अगस्त 1947 को जिस दिन से भारत आजाद हुआ है उस दिन से लेकर आज तक भारत के हर प्रधानमंत्री ने लाल किले से ध्वजारोहण किया है।

दरअसल जिस दिन भारत को आजादी मिली थी उस दिन ब्रिटिश सरकार ने अपना झंडा उतारकर भारत के तिरंगे को उपर चढ़ाया था, इसलिए इस प्रक्रिया को ध्वजारोहण कहा जाता है। वहीं आपको बता दें, आज भी लोगों को ये नहीं मालूम तिरंगा सही तरीके से कैसे फहराया जाता है। अगर कोई शख्स भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है। ऐसे में हम आपको तिरंगा फहराने से जुड़े नियम और कानून बताने जा रहे हैं।

तिरंगा हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है। तिरंगे को कभी झुकाया नहीं जाता, न ही जमीन पर रखा जाता है। आदेश के बाद ही सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराया जा सकता है।

झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता, झंडे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुचाया जाता है। झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

तिरंगे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए। तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके तिरंगा फहराना गलत है।

तिरंगे को हमेशा अपने पास की सबसे ऊंची जगह पर फहराना चाहिए। तिरंगे का इस्तेमाल किसी कार्यक्रम में मेज को ढकने या मंच को सजाने में नहीं किया जाता है।

कभी भी फटा या मैला-कुचैला तिरंगा नहीं फहराया जाता है। झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में आग में जला देना चाहिए या अन्य किसी तरीके से नष्ट करना चाहिए, ताकि उसकी गरिमा बनी रहे। झंडे को पवित्र नदी में जल समाधि भी दी जा सकती है।

तिरंगे के कपड़े बनाकर पहनना गलत है। तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर इस्तेमाल करना तिरंगे का अपमान है। राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत आरोपित लोगों पर तीन साल तक की जेल की सजा और पहली बार अपराध करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। इसी तरह, बाद के अपराधों में कम से कम एक पूरे वर्ष के लिए कारावास हो सकता है।

   

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