कोरोना महामारी का सितम बढ़ता जा रहा है। इस बीच सत्ता की ललक ने देशवासियों को उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया है। हालांकि एक तरफ सत्ताधारी और विपक्ष के तमाम नेता कोरोना महामारी से बचाव के लिए जनता को चेतावनी देते नजर आ रहे हैं। मंदिर, मस्जिद, शादी विवाह व अन्य सार्वजनिक समारोह में शामिल होने वालों की संख्या सीमित होने के सरकारी आदेश जारी कर रहे हैं। अब अगर जनता इन कानूनों का उल्लंघन करती है तो जुर्माना डंडा लाठीचार्ज जैसी सजायें दी जा रही है।
पर सत्ता के आदेश ऐसे हैं जैसे कि चोर से कह रहे हैं चोरी करो दूसरी ओर चौकीदार से कह रहे हैं कि चोर को पकड़ो। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों की मतगणना में जुटी भीड़ का मंजर बड़ा ही भयानक है। यूपी में जिस तरह से कोरोना बढ़ रहा है उससे लगता है कि पंचायत चुनावों की मतगणना के बाद तो वहाँ भारी विस्फोट हो सकता है। गौरतलब है कि कई पोलिंग एजेंट तक कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। मतलब कोरोना का प्रसार इन पंचायत चुनावों की मतगणना के दौरान हो चुका है।
इस सबके बावजूद दोषी सिर्फ और सिर्फ जनता है। सत्ता और विपक्ष के नेता तो मौज में हैं।