नई दिल्ली। देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी हजारों लोगों को बीमा होने के बावजूद उसके क्लेम के लिए भटकना पड़ रहा है। ऐसे में भारतीय बीमा विनियामक ने सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे कोविड-19 से जुड़े सभी कैशलेस इलाज के क्लेम यानी दावों को आवेदन मिलने के एक घंटे के भीतर मंजूर करें। इरडा ने हाल ही में इसको लेकर एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें कोविड-19 हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स के मानकों का जिक्र है।
इसमें इरडा ने सभी साधारण और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को निर्देश दिया है कि आवेदन मिलने के एक घंटे के भीतर कैशलेस ट्रीटमेंट के मंजूरी के निर्णय की जानकारी दी जानी चाहिए। इसमें अस्पताल की ओर से मांगी गई सारी जरूरी जानकारियां शामिल हैं। यह सर्कुलर ऐसे वक्त आया है, जब अस्पतालों के बेड के लिए इंतजार कर रहे मरीजों के लिए तुरंत राहत की जरूरत महसूस की जा रही है।
बीमा विनियामक ने यह निर्देश दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अधिकतम 30 से 60 मिनट के भीतर बीमाकर्ता कंपनियां कैशलैस ट्रीटमेंट को स्वीकृति प्रदान करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इसका लाभ मिल सके और किसी भी मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने में भी कोई देरी नहीं हो।
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, दवाओं की किल्लत औऱ कालाबाजारी के साथ बेड के संकट पर लगातार सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई थी कि बीमा कंपनियां कोविड के कैशलेस ट्रीटमेंट को मंजूरी देने में लंबा समय लगा रही हैं। तमाम दावे बेबुनियाद बातों के आधार पर खारिज किए जा रहे हैं। बीमाकर्ता कंपनियों की मनमानी को देखते हुए हाईकोर्ट ने इरडा का ऐसे क्लेम के निपटारे को लेकर आदेश जारी करने को कहा था।