मणिपुर सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसके अनुसार स्थानीय प्रशासन या सिविल सोसाइटी म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों को न तो पनाह दे सकेंगे और न ही भोजन। आदेश के अनुसार केवल मानवीय आधार पर और बेहद गंभीर चोट के हालात में मेडिकल सहायता दी जा सकती है। यह आदेश चंदेल, टेंगनोउपल, केमजोंग, उखरुल और चूड़ाचंदपुर जिलों के जिला अधिकारियों को जारी किया गया है और ‘म्यांमार के नागरिकों के अवैध प्रवेश’ को लेकर पर्याप्त कदम उठाने को कहा गया है।
भारत को उम्मीद है कि उसके पड़ोसी देश के बड़ी संख्या में शरणार्थी यहां प्रवेश करेंगे क्योंकि वहां के सैन्य शासकों ने यंगून सेमत देश के 9 क्षेत्रों में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। इसमें कम से कम 90 लोगों के मारे जाने की खबर है जिसमें कई बच्चे भी शामिल हैं।
जारी आदेश के अनुसार, मणिपुर सरकार ने कहा कि जिला प्रशासन या सिविल सोसायटी को शरणार्थियों को भोजन और आश्रय देने के लिए शिविर नहीं खोलने चाहिए। आदेश के अनुसार भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे लोगों को विनम्रता पूर्वक लौटा देना चाहिए।
आदेश में आगे कहा गया है, ‘बांग्लादेश से आए शरणार्थियों की वजह से दशकों तक हुए टकराव को ध्यान में रखते हुए आधार पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाना चाहिए और आधार पंजीकरण किट को सुरक्षित कस्टडी में रखा जाना चाहिए।
बिरेन सिंह सरकार के इस आदेश की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हो रही है और कई लोग इस आदेश को अमानवीय बता रहे हैं जो कि देश के आतिथ्य की लंबी परंपरा के खिलाफ है।