देहरादून । देश में बायो फ्यूल का उत्पादन करने के लिए साठ हजार बायो फ्यूल प्लांट लगने जा रहे हैं। योजना है कि देश की अधिक से अधिक आबादी तक बायो फ्यूल पहुंचाया जाये। वर्तमान में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम (आइआइपी) के परिसर में लगाये गये प्लांट में 200 लीटर बायो फ्यूल प्रतिदन बनाया जा रहा है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नीरज आत्रेय ने बताया कि बायो फ्यूल बनाना बहुत ही आसान है। अनुपयोगी खाद्य तेल को इकट्ठा कर उसमें मिथेनॉल मिलाया जाता है। पानी का बायलिंग पाइंट 100 डिग्री तथा मिथेनॉल का 65 डिग्री होता है। इस तापमान तक पहुचने पर त और मिथेनॉल जब उबलने लगता है तो इसमें एक पेटेंट साल्वेंट डाल देते हैं। इसके बाद कुछ ही मिनटों में यह बायो फ्यूल (बायो डीजल में बदल जाता है।
आइआइपी खाद्य विभाग तथा सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाऊंडेशन के साथ होटलों से इस्तेमाल किये खाद्य तेल को इकट्ठा करने की योजना बनाई है। इसके साथ ही नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों से भी खाद्य तेल इकट्ठा किया जायेगा।
डॉ आत्रेय के मुताबिक अगर हम 10 फीसदी आबादी भी जुड़ी तो तेल के आयात में पांच से सात फीसदी की कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि बायो फ्यूल का पहला प्लांट छत्तीसगढ़ में लगाया जाएगा।
आइआइपी के निदेशक डॉ अंजन रे ने पिछले दिनों देहरादून में आयोजित एक प्रेस वार्ता में बताया कि कोरोना महामारी की वजह से बायो फ्यूल बनाने की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है। लेकिन अब इस दिशा में नये उत्साह के साथ काम शुरू किया जा रहा है।