@फैसल खान
मथुरा । स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जायेगी। हालांकि अभी तारीख तय नहीं हुई है। अमरोहा निवासी शबनम ने आज से 13 साल पहले अप्रैल 2008 में अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी।
शबनम को उत्तर प्रदेश के एकमात्र महिला फांसीघर में मौत की सजा दी जाएगी। फांसी देने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। मेरठ के पवन जल्लाद दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर चुके हैं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका ख़ारिज कर दी है। लिहाजा अगर सब कुछ ठीक रहा तो आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा। वैसे देश में आजाादी के बाद किसी महिला कैदी को फांंसी की सजा नहीं दी गई है।
हालांकि 150 साल पहले मथुरा में देश का पहला महिला फांसीघर बनाया गया था। वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय कहते हैं कि बताया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है। लेकिन हमने तैयारी शुरू कर दी है। जैसे ही होगा डेथ वारंट शबनम को फांसी दे दी जाएगी। बक्सर से मंगवाई जाएगी रस्सी जेल अधीक्षक के मुताबिक पवन जल्लाद दो बार फांसीघर का निरिक्षण कर चुका है। उसे तख्ता-लीवर में कमी दिखी, जिसे ठीक करवाया जा रहा है। बक्सर से फांसी के लिए रस्सी मंगवाई जा रही है। अगर अंतिम समय में कोई अड़चन नहीं आई तो शबनम पहली महिला होंगी जिसे आजादी के बाद फांसी की सजा होगी।