@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो
कांग्रेस और वाम दलों ने फैसला लिया है कि पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव में वे 2016 के चुनाव में जीती हुई सीटों को अपने-अपने पास रखेंगे। वाम-कांग्रेस गठबंधन ने 2016 में 77 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें से कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘आज हमने फैसला किया कि हम 44 और 33 सीटें अपने-अपने पास रखेंगे जिस पर कांग्रेस और वाम दल को जीत मिली थी। बाकी की 217 सीटों को लेकर चर्चा चल रही है।’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस महीने के अंत तक सीट बंटवारा समझौते का काम पूरा हो जाएगा।
पश्चिम बंगाल वाम मोर्चा के अध्यक्ष और माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य बिमान बोस ने कहा कि संयुक्त प्रचार अभियान पर भी चर्चा हुई। जिस बैठक में यह फैसला हुआ, उसमें वह खुद भी मौजूद थे। पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है।
गौरतलब है कि प. बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए सबसे अहम रस्साकसी बीजेपी और टीएमसी के बीच चल रही है। दोनों के बीच तल्खी इतनी ज्यादा हो चुकी है कि कई राजनीतिक हत्याएं भी हो चुकी हैं। दोनों ही दल एक दूसरे पर इसके लिए आरोप प्रत्यारोप जड़ते रहते हैं। टीएमसी के कई नेताओं के बीजेपी में जाने के बाद यह तल्खी और ज्यादा बढ़ी है।
हालांकि इससे पहले ममता बनर्जी की टीएमसी और लंबे समय तक बंगाल में काबिज रहे वामदलों के बीच इसी तरह का टकराव हुआ था। तब वामदलों को मात देकर बंगाल की सत्ता पर ममता ने कब्जा किया था। उसके बाद से दीदी का बंगाल पर एक तरह से कब्जा है। बीजेपी ने इसे चुनौती दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने धमाकेदार जीत दर्ज करके ममता को भी परेशान कर दिया था। उसके बाद से वह अपनी किलेबंदी को लेकर ज्यादा चौकस हुई हैं, लेकिन किले का दरकना बदस्तूर जारी है।