नई दिल्ली। नए संसद भवन के निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया। इंडिया गेट के पास सेंट्रल विस्टा कार्यक्रम के तहत बन रहे नए भवन के इस कार्यक्रम में बस प्रतीकात्मक तौर पर शिलान्यास होगा लेकिन इसका निर्माण कार्य अभी नहीं शुरू हो सकता है क्योंकि इस संबंध में एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। संसद का यह नया भवन 20,000 करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का एक अहम हिस्सा है, जिसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले 13.4 किमी लंबे राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों के पुनर्निमाण या फिर पुनरूद्धार की योजना है। इस मौके पर कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ उद्योगपति रतन टाटा भी मौजूद रहे।
भूमि पूजन कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रही यह चार मंजिला इमारत बिल्डिंग 64,500 वर्ग मीटर में फैली होगी और इसे बनाने में कुल 971 करोड़ का खर्च आएगा। संभावना है कि इसका निर्माण कार्य अगस्त, 2022 यानी देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस तक पूरा कर लिया जाएगा।
प्रस्तावित भवन में लोकसभा के सदन में कुल 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, वहीं संयुक्त सत्र में इसे 1224 सदस्यों तक बढ़ाने का विकल्प भी रखा जाएगा। राज्यसभा के सदन में कुल 384 सदस्य बैठ सकेंगे।
इस नए भवन का निर्माण वर्तमान संसद के भवन की सीमित क्षमताओं के चलते किया जा रहा है। वर्तमान संसद भवन ब्रिटिश काल का है। इसका शिलान्यास 1921 में हुआ था। वर्तमान संसद भवन को मॉडर्न कम्युनिकेशन और भूकंपरोधी सुरक्षा व्यवस्था के साथ अपग्रेड नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे इस 93 साल पुराने भवन को नुकसान पहुंच सकता है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा था कि इसे पुरातात्विक संपत्ति के तौर पर संरक्षित किया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामला कोर्ट में अटका होने के बावजूद ‘आक्रामक गति से आगे बढ़ने’ के आरोप में फटकारा था। कोर्ट ने कहा था कि ‘आप शिलान्यास कर सकते हैं, आप पेपरवर्क भी आगे बढ़ा सकते हैं लेकिन कोई निर्माण कार्य नहीं होगा। एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा।’