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काशीपुर. :जनकवि बल्ली सिंह चीमा को पंजाब का शिरोमणि साहित्य पुरस्कार

चंडीगढ़/काशीपुर । देश भर में अपनेे जनगीतों के लिये जाने जाने वाले जनकवि बल्ली सिंह चीमा को पंजाब सरकार ने शिरोमणि साहित्य पुरस्कार देने की घोषणा की है। 

बता दें कि इन पुरस्कारों का फैसला बीते रोज पंजाब सरकार केे उच्च शिक्षा तथा भाषा मंत्री सरदार राजिंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता में पंजाबी भवन चंडीगढ़ में हुई राज्य सलाहकार बोर्ड की बैठक में इन पुरस्कारों का निर्णय लिया गया। साहित्य और कला के लिए के 18 अलग अलग वर्गों के लिए साहित्य रत्न और शिरोमणि पुरस्कारों का ऐलान किया गया है।

शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित उत्तराखंड के सुल्तानपर पट्टी निवासी प्रख्यात जनकवि बल्ली सिंह चीमा को पांच लाख की नगद राशि तथा प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा।

शब्द दूत से बात करते हुये बल्ली सिंह चीमा ने पंजाब सरकार का इस सम्मान के लिए आभार जताया है साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें यह पुरस्कार उनके अब तक के समग्र साहित्य लेखन के लिए मिला है। वर्ष 2018 के लिए उन्हें पंजाब सरकार ने शिरोमणि साहित्य पुरस्कार के लिए चुना है। 

बल्ली सिंह चीमा उत्तराखंड राज्य के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं। उनकी लिखी कविताएँ अन्धेरे में मशाल की भाँति कार्य करती हैं। बल्ली सिंह की कविताएँ पुस्तकालय की शोभा नहीं बनती, अपितु अन्याय और जुल्म के ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आती हुई प्रतीत होती हैं। जीवन संघर्षों और जन आंदोलनों में बल्ली सिंह चीमा ने अपनी ज़िन्दगी का अधिकांश समय व्यतीत किया है।

बल्ली सिंह चीमा का जन्म 2 सितम्बर, 1952 में चीमाखुर्द गाँव, अमृतसर ज़िला, पंजाब में हुआ था। इनकी माता का नाम सेवा कौर था। इन्होंने स्नातक के समकक्ष प्रभाकर की डिग्री ‘गुरु नानक विश्वविद्यालय’, अमृतसर से प्राप्त की थी। चाहे उत्तराखंड आंदोलन रहा हो या फिर राज्य बनने से पूर्व शराब विरोधी आंदोलन, सभी में बल्ली सिंह अपनी कविताओं के साथ जनता के मध्य उपस्थित रहे। बल्ली सिंह चीमा अपनी जमीन से जुड़े हुए जनकवि हैं। कृषि एवं फ़्रीलांस पत्रकारिता दोनों को ही इन्होंने समान रूप से अपनाया है।

देश भर के कविता मंचों और विश्वविद्यालयों में कविता पाठ करने के साथ-साथ बल्ली सिंह चीमा देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में भी अपनी रचनाओं सहित उपस्थित रहते हैं। सुन्दरलाल बहुगुणा, बाबा आम्टे और मेधा पाटेकर जैसे सक्रिय समाज सेवियों ने बल्ली सिंह की कविताओं और जन गीतों को अपनाया है।

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