नई दिल्ली। कोविड-19 रोगियों के समुचित उपचार और अस्पतालों में कोरोना रोगियों के शवों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना के हालात पर चिंता जताई। जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि दिल्ली में हालात बदतर हो गए हैं। हम चाहते ह़ै कि सरकार ने क्या व्यवस्था की है, उस पर विस्तार से हलफनामा दाखिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और असम में तेजी से मौजूदा समय बढ़ रहे कोविड मामलों के प्रबंधन, मरीजों को सुविधा समेत अन्य व्यवस्थाओं पर स्टेटस रिपोर्ट दो दिन में मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सुन रहे हैं कि इस महीने में केसों में भारी बढोतरी हुई है। हम सभी राज्यों से एक ताजा स्टेटस रिपोर्ट चाहते हैं। यदि राज्य अच्छी तरह से तैयारी नहीं करते तो दिसंबर में इससे भी बदतर चीजें हो सकती हैं। उच्चतम न्यायालय ने स्थिति से निपटने के लिए उठाए गए कदमों, मरीज़ों के प्रबंधन और वर्तमान स्थिति पर चार राज्यों से रिपोर्ट मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में लॉबी और वेटिंग एरिया में शव पड़े थे। वार्ड के अंदर, ज्यादातर बेड खाली थे, जिनमें ऑक्सीजन, सलाइन ड्रिप की सुविधा नहीं थी। बड़ी संख्या में बेड खाली हैं, जबकि मरीज भटकते फिर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले के लिए केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दिल्ली के साथ-साथ महाराष्ट्र और तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल को भी नोटिस भी जारी किया है।
महामारी के बढ़ते मामलों के बावजूद राज्य में बेलगाम समारोहों, शादियों और कार्यक्रमों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद गुजरात में हालात सबसे खराब हैं। आपकी नीति क्या है? क्या हो रहा है? यह सब क्या है? अदालत ने कहा कि चार राज्यों में हालात बहुत खराब हैं। लापरवाही के चलते कोविड महामारी बढ़ रही है। अगली सुनवाई शुक्रवार 27 नवंबर को होगी।