@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अर्णब को अंतरिम जमानत दे दी है। खुदकुशी के लिए उकसाए जाने वाले आरोप के मामले में अर्णब सहित दो आरोपियों को भी जमानत मिल गई है। शीर्ष अदालत ने जेल प्रशासन और कमिश्नर को आदेश का पालन होने को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए और कहा कि वो नहीं चाहते कि रिहाई में दो दिनों की देरी हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वो निचली अदालत को जमानत की शर्तें लगाने को कहते तो तो और दो दिन लग जाते, इसलिए हमने 50,000 का निजी मुचलका जेल प्रशासन के पास भरने को बोल दिया है। बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्णब को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट गए थे।
मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने की। बता दें कि सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कोर्ट इस केस में दखल नहीं देता है, तो वो बरबादी के रास्ते पर आगे बढ़ेगा। कोर्ट ने कहा कि ‘आप विचारधारा में भिन्न हो सकते हैं लेकिन संवैधानिक अदालतों को इस तरह की स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी वरना तब हम विनाश के रास्ते पर चल रहे हैं।’
जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए यह बेहतर है कि वह मामले के कानूनी पहलुओं पर ध्यान न दे क्योंकि यह मुद्दा वहां लंबित है और अंतरिम राहत के बिंदु तक सीमित रहेगा। अग्रिम जमानत के मामलों में भी, अदालतें गिरफ्तारी नहीं करने के लिए अंतरिम आदेश पारित करती हैं जबकि अभियोजन को नोटिस जारी किया जाता है।
अर्णब का केस रख रहे वकील हरीश साल्वे ने जमानत के पक्ष में दलील रखते हुए कहा था कि ‘क्या अर्णब गोस्वामी आतंकवादी हैं? क्या उन पर हत्या का कोई आरोप है? उनको जमानत क्यों नहीं दी जा सकती? उन्होंने तर्क रखा कि ‘आत्महत्या के लिए आत्महत्या करने का इरादा होना चाहिए और यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। इस मामले में कोई इरादा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में कहा है कि आत्महत्या के लिए इरादा होना चाहिए जो यहां नहीं है। यदि कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है, तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा।’