@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। झारखंड देश का ऐसा आठवां राज्य बन गया जिसने राज्य में किसी मामले की सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) जांच के लिए सामान्य सहमति को वापस लेने का फैसला किया है। वह विपक्ष के उन खास राज्यों में शामिल हो गया है जिन्होंने अपने ‘दरवाजे’ केंद्रीय जांच एजेंसी के लिए बंद कर दिए है।
इस कदम के बाद सीबीआई को अब झारखंड में किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की इजाजत लेना जरूरी होगा। केरल राज्य द्वारा उठाए गए ऐसे कदम के एक दिन बाद झारखंड का यह फैसला आया है। गौरतलब है कि झारखंड में झामुमो के हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार है और इसमें कांग्रेस गठबंधन सहयोगी है।
इससे पहले, विपक्ष की ओर से शासित बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान सामान्य सहमति वापस ले चुके हैं। इन राज्यों का आरोप है कि बीजेपी शासित केंद्र सरकार, राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है।
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की ओर से शासित बंगाल ने वर्ष 2018 में सामान्य सहमति वापस ली थी। बंगाल की तर्ज पर चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश की तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने भी नवंबर 2018 में ऐसा ही फैसला लिया था। एनडीए से हटने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार अपने लाभ के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि जगन मोहन रेड्डी के सत्ता में आने के बाद आंध्र प्रदेशने इस कदम को वापस ले लिया था।



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