नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के कथित गैंगरेप, बर्बरता और मर्डर केस में राज्य सरकार की कार्रवाई की चहुंओर आलोचना और फजीहत के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवायजरी जारी की है। दो पन्ने की एडवायजरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में अनिवार्य कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी दो-पन्नों की एक एडवायजरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तीन प्रमुख खंडों पर प्रकाश डाला है। इसके तहत “एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण”। साठ दिनों के भीतर अनिवार्य जांच (बलात्कार के मामले में) और 24 घंटे के भीतर अनिवार्य चिकित्सीय परीक्षण (बलात्कार या यौन उत्पीड़न के मामले में) एक योग्य पेशेवर चिकित्सा द्वारा, पीड़ित की सहमति से कराने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्यों के भेजे पत्र में कहा गया है, “यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य या संघशासित क्षेत्र, कानून में प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधितों को निर्देश जारी किए जाएं। फॉलो अप के लिए ITSSO यौन अपराध के मामलों को ट्रैक करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल (ITSSO) पर मामलों की निगरानी करने और उस संबंध में उपयुक्त कार्यवाही सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया जाता है।”
एडवायजरी में कहा गया है कि इन अनिवार्य आवश्यकताओं का पालन करने में पुलिस की विफलता देश में आपराधिक मामलों में न्याय दिलाने में कारगर नहीं हो सकती है, विशेष रूप से महिला सुरक्षा के मामलों में।” केंद्र ने इन नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।