@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मौत का कोई आंकड़ा उपलब्ध न होने की बात कहकर विपक्ष के निशाने पर आई केंद्र सरकार ने इस मामले में सफाई दी। सरकार की ओर से कहा गया कि जिलों में ऐसा डाटा एकत्रित करने का कोई ‘मैकनिज्म’ नहीं है।
अधिकारियों ने कहा कि कई दशकों से स्थापित मानदंडों के अनुसार, जन्म और मृत्यु से संबंधित आंकड़े नगरीय निकाय के स्तर पर रखा जाता है। सूत्रों ने कहा कि नगरीय निकाय स्तर पर किसी जिले में प्रवासी मजदूरों की मौत से संबंधित डाटा एकत्र करने का तंत्र मौजूद नहीं है। ऐसे में इस मामले में श्रम मंत्रालय की ओर से अपनाए गए रुख पर सवाल उठाना सही नहीं है।
बता दें कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि प्रवासी मजदूरों की मौत पर सरकार के पास आंकड़े उपलब्ध नहीं है, ऐसे में मुआवजा देने का ‘सवाल नहीं उठता है’। दरअसल, सरकार से पूछा गया था कि कोरोना वायरस लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है? सरकार के इस जवाब पर विपक्ष की ओर से खूब आलोचना और हंगामा हुआ था। श्रम मंत्रालय ने माना है कि लॉकडाउन के दौरान एक करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर देशभर के कोनों से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं।