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एक नजरिया :हमें कोरोना से लड़ना है मानवता से नहीं, आंकड़े कुछ और ही कहते हैं, फिर दहशत क्यों?

@विनोद भगत 

वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। अधिकतर खबरें भयावह स्थिति दर्शा रही हैं। लेकिन आंकड़ों का खेल कुछ और ही कहता है। जितने मरीजों के होने की आशंका जताई जा रही है। अधिकांश खबरों में यही कहा जा रहा है कि दुनिया इस महामारी से पार पाने में असफल साबित हो रही है।

पर वास्तविकता से देखा जाये तो विश्व के अनेक देशों जिनमें भारत भी शामिल है ने कोरोना महामारी से बचाव के उपायों को अपनाकर इस वैश्विक महामारी के खिलाफ एकजुट होकर जंग लड़ी है जिसके सकारात्मक परिणाम भी आये हैं। दरअसल कोरोना पर वैश्विक स्तर पर पर ही नहीं देशों में भी भय का माहौल बनाया जा रहा है। इसमें कुछ देशों के आपसी संबंधों की खटास के साथ कुछ देशों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच आरोप प्रत्यारोप भी एक कारण माना जा सकता है। भारत में तो हद तब हो गई जब कोरोना के बहाने धार्मिक लड़ाई शुरू हो गई। हालांकि बाद में इसमें सुधार कर लिया गया। 

भारत में इस समय कोरोना मरीजों की कुल संख्या 4,56,071 है। हालांकि अब तक आये कुल मामलों की अगर बात करें तो यह संख्या 13,36,861 है। यह आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी किये गये हैं। मंत्रालय के 8,49,432 लोग कोरोना से ठीक होकर अस्पताल से घर आ चुके हैं। जबकि 31, 358 लोगों की मौत अब तक हुई है। आंक

अब बात करते हैं विश्व की।  इस वैश्विक महामारी कोरोना में वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, पूरे विश्व में मरने वालों की संख्या छह लाख 42 हजार से ज्यादा हो गई है। जबकि संक्रमित लोगों का आंकड़ा एक करोड़ 59 लाख 41 हजार से ज्यादा है। ठीक होने वालों की  संख्या 97 लाख 24 हजार से ज्यादा है।

बहरहाल अब जरूरत है कि इस बीमारी से मनोवैज्ञानिक तरीके से लड़ा जाये। क्योंकि यह बीमारी सिर्फ मानवता के लिए खतरा है। मानवता का मतलब हर धर्म हर देश और हर वर्ग से होता है। बिडम्बना की बात तो यह है कि कोरोना महामारी को हमने अपने महिमामंडन और दूसरे के दोषों को उजागर करने का माध्यम बना लिया है। ऐसे में हम कोरोना के खात्मे से पहले मानवता को नष्ट करने जा रहे हैं।

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