@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। अब दिल्ली में लोगों को टेस्ट और इसका नतीजा जानने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. दिल्ली में नई टेस्टिंग तकनीक ‘रैपिड एंटीजन टेस्ट’ के जरिए कोरोनावायरस की टेस्टिंग शुरू हो गई है। फिलहाल आईसीएमआर ने इस तकनीक को केवल कंटेनमेंट जोन और अस्पताल या क्वारेंटाइन सेंटर में इस्तेमाल करने की इजाजत दी है। यह नई तकनीक कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ा बदलाव ला सकती है। इससे टेस्टिंग की प्रक्रिया तेज होगी, मरीजों का पता जल्दी चलेगा, जिससे कि उनको इलाज जल्दी मिल जाएगा।
यह टेस्टिंग इसलिए बहुत खास है क्योंकि आमतौर पर कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट 1-2 दिन में आती है जबकि इस तकनीक में 15 से 30 मिनट के अंदर नतीजा आ जाता है। इस नई टेस्टिंग तकनीक के तहत अगर किसी शख्स की रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उसकी पुष्टि आरटीपीसी (RTPC) टेस्ट से की जाती है। अगर कोई शख्स पॉजिटिव आता है तो उसे पॉजिटिव मान लिया जाता है। फिलहाल, इसके दाम तय करने की ऐसी कोई जानकारी नहीं है क्योंकि यह टेस्ट खुद सरकार करा रही है।
दिल्ली में 20 जून से रोजाना करीब 18 हजार कोरोना टेस्ट कराने की योजना है जिसमें इस तकनीक को सभी मौजूदा 247 कंटेनमेंट जोन में इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इस तकनीक के जरिए किए जाने वाले टेस्ट के लिए पूरा शेड्यूल तैयार कर रहा है यानी कब, कहां, कितने टेस्ट कराए जाने का लक्ष्य है यह तय किया जा रहा है।
इस तकनीक में व्यक्ति की नाक की दोनों तरफ़ से फ्लूइड का सैंपल लिया जाता है। फिर उसको पास ही मौजूद एक मोबाइल बैन के अंदर बनी छोटी से लेबोरेटरी के अंदर टेस्ट किया जाता है। अगर टेस्टिंग स्ट्रिप पर एक लाइन आती है तो इसका मतलब नेगेटिव होता है। लेकिन उसको पुख्ता तौर पर नेगेटिव नहीं माना जा सकता और कन्फर्म करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट ज़रूरी होता है। अगर दो लाल लकीर दिखाई देती हैं तो इसका मतलब व्यक्ति पॉजिटिव है जिसको पुख्ता तौर पर पॉजिटिव मान लिया जाएगा। लेकिन अगर कोई लकीर नहीं देखती तो इसका मतलब टेस्ट बेनतीजा है। इस तकनीक में टेस्ट का नतीजा 15 से 30 मिनट के अंदर आ जाता है। इस तकनीक को साउथ कोरिया की मानेसर स्थित कंपनी ने तैयार किया है।